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________________ शुभाशंसा संस्कृत और प्राकृत प्राचीन भाषाएं हैं। इनमें बहुमूल्य साहित्य भी प्राप्त होता है । जैन आगम प्राकृत भाषा में ग्रथित हैं । उनका व्याख्या-साहित्य भी कुछ प्राकृत भाषा में है। संस्कृत में भी वह विपुल मात्रा में है। आज भी पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ के नेतृत्व में हमारे संघ में साहित्य का निर्माण हो रहा है। मुनि श्री विमलकुमारजी संस्कृत और प्राकृत भाषा के विज्ञ सन्त हैं । जैन आगमों के सम्पादन आदि कार्यों के साथ भी वे वर्तमान में जुड़े हुए हैं। पहले भी इनकी कई पुस्तकें सामने आई हैं । प्रस्तुत कृति ‘पाइयपच्चूसो' मुनि श्री के तीन प्राकृत काव्यों से संवलित एक ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ प्राकृत पाठकों के लिए उपयोगितापूर्ण सिद्ध हो । लेखक और भी नए-नए ग्रन्थों का निर्माण करते रहें, अपनी प्रतिभा का उपयोग करते रहें। जैन विश्व भारती १ अप्रैल १९९६, महाश्रमण मुनि मुदित महावीर जयन्ती
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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