SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बंकचूलचरियं २६ पंचम सर्ग १. सूर्य की किरणों से तप्त भूमि को शान्त करने के लिए वर्षा काल आ गया, जो मनुष्यों को आनन्द देने वाला है । २. शुष्क नदी और तालाबों को शीघ्र ही जलमय बनाने के लिए वर्षाकाल आ गया, जो मयूरों को आनन्द देने वाला है । ३. शुष्क भूमि को हरित वस्त्र धारण कराने के लिए वर्षाकाल आ गया, जो किसानों को आनन्द देने वाला है । ४. प्राचीन काल में सड़के नहीं थीं । अतः मनुष्यों को वर्षाकाल में आनेजाने में बहुत कठिनाई होती थी । ५. मार्गवर्ती तालाब और नदियां जल से भर जाती थीं जिससे उनको पार करना मुश्किल होता था । ६. अत: उस समय में मनुष्य वर्षा के पूर्व ही अपनी यात्रा कर लेते थे जिससे बाद में वह दुःखप्रद न हो । ७. मुनिगण भी वर्षा के पूर्व ही निश्चित स्थान में पावस करने चले जाते थे जिससे कोई बाधा न हो । ८. उस समय में आचार्य चंद्रयश अपने शिष्यों के साथ किसी निश्चित स्थान में पावस करने जा रहे थे । ९. उनकी हार्दिक इच्छा थी कि वर्षा के पूर्व ही निश्चित स्थान पर पहुंचना । किन्तु विधि अन्य ही चाहती है । १०. उनके मार्ग में अकल्पित प्रचुर वर्षा हुई। सभी तालाब और नदियां जलमग्न हो गई । ११. शुष्क भूमि पर हरे अंकुर उत्पन्न हो गए। तब उनके सामने अकल्पित स्थिति आ गई ।
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy