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________________ बंकचूलचरियं १२. राजा ने पूछा- तुम लोग यहां कैसे आए हो? क्योंकि बिना कारण के यहां आना होता नहीं । अत: निर्भय होकर बोलो। १३. राजा की वाणी सुनकर उनमें से एक ने कहा- राजन् !आप सावधानी पूर्वक हमारे आगमन का हेतु सुनें। १४. आपके नगर में चोरों का उपद्रव बढ़ गया है। सभी व्यक्ति उससे दुखी है। कोई भी अपने को सुरक्षित नहीं मानता है। १५. दुःख है कि आपके पुत्र व पुत्री इस कार्य में रत हैं । जिस राज्य में ऐसे नेता हैं वहां प्रजा की क्या दशा होती है ? १६. राजन् ! यदि यह उपद्रव यहां इसी प्रकार बढता रहा तो पुरवासी शीघ्र ही इस नगर को छोड़कर अन्यत्र चले जायेंगे। १७. उनके मुख से यह बात सुनकर राजा का मन खिन्न हुआ। उस राजा से क्या? जिसके राज्य में प्रजा दुःखी हो। १८. राजा ने कहा—तुम लोग सुखपूर्वक रहो। मैं शीघ्र ही तुम्हारे दुःख को दूर करता हूं । क्योंकि प्रजा के दुःख को दूर करना राजा का प्रथम कर्तव्य है। १९. राजा से आश्वासन पाकर वे सभी प्रसन्न होकर अपने घर चले गए। तत्पश्चात् राजा अपने मन में इस प्रकार विचार करने लगा २०. बंकचूल मेरे नगर में क्यों चोरी कर रहा है? वह राजपुत्र होकर भी यह जघन्य कार्य कर रहा है । इसका मुझे बहुत दुःख है। २१. उसने अपनी जाति, कुल का विस्मरण कर दिया है और मेरे भय को छोड़कर इस कुमार्ग में प्रवृत्त हुआ है। २२. जब नेता बुरा कार्य करते हैं तो जनता क्यों नहीं करेगी? अत: मुझे इसका शीघ्र प्रतिकार करना चाहिए, अन्यथा प्रजा मेरी निंदा करेगी। . २३. उसने क्रुद्ध होकर शीघ्र ही बंकचूल को बुलाया । बंकचूल ने आकर राजा को नमस्कार किया किन्तु राजा ने ध्यान नहीं दिया।
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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