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________________ बंकचूलचरियं तृतीय सर्ग १. संसार में यह लोकोक्ति प्रसिद्ध है कि जब पाप का घड़ा भर जाता है तब वह फूट जाता है । वह यहां किस प्रकार सिद्ध होती है, देखें। २. पुष्पचूल अपने मित्रों के साथ नगर में चोरी करने लगा। अत: सर्वत्र मनुष्यों के मुख पर चोरी की बात होने लगी। ३. मार्ग में जो कोई भी व्यक्ति मिलते वे सब यही बात करते कि आज इस घर में चोरी हुई है और आज इस घर में। ' ४. इस प्रकार मनुष्यों में भय छा गया। कोई भी व्यक्ति अपने को सुरक्षित नहीं मानने लगा। तब नगर के लोग मिलकर चोरों का भेद लेने की चेष्टा करने लगे। ५. पुष्पचूल अपनी बहिन के साथ चोरी करता है इस रहस्य को पाकर सभी व्यक्ति विस्मित हुए। राजा के घर में यह क्या हो रहा है? ६. जब राजमहल में इस प्रकार का कार्य होता है तब अन्य मनुष्य करेंइसमें आश्चर्य ही क्या है ? अत: इसका प्रतिकार करना चाहिए। ७. अनेक सभ्य व्यक्ति मिलकर पुष्पचूल के पास आए और एकान्त में : उसको कहा-चोरी आपके लिए अच्छी बात नहीं है। . ८. यदि आप इस प्रकार चोरी करेंगे तो अन्य मनुष्यों की क्या बात? चोरी जघन्य कार्य है अत: आप उसे छोड़ दें, यही हमारा निवेदन है। ९. लेकिन पुष्पचूल ने उनके निवेदन पर कुछ भी ध्यान नहीं दिया। उसने उनको तिरस्कृत कर शीघ्र ही अपने महल से बाहर निकाल दिया। १०. उसके क्रूर स्वभाव को देखकर उन्होंने उसका नाम बदल दिया। उसका नाम बंकचूल और उसकी बहिन का नाम बंकचूला रखा। ११ फिर भी जब उसका उपद्रव वहां बहुत बढ़ने लगा तब अनेक सभ्य नागरिक राजा के पास आए।
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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