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________________ बंकचूलचरियं १२. उन्होंने नम्रतापूर्वक गुरु से विविध प्रकार का ज्ञान प्राप्त किया। विनीत व्यक्ति ही गुरु से ज्ञान प्राप्त कर सकता है । १३. जब वे गुरु के पास शिक्षा प्राप्त कर तरुण हुए तब माता-पिता उनके विवाह की चिन्ता करने लगे। १४. जो व्यक्ति लघु वय में ही संतानों का विवाह कर देते हैं वे व्यर्थ ही उनकी शक्ति का नाश करते हैं। १५. वे अल्प वय में ही संतानों का विवाह करके उनके शिर पर निश्चित ही बहुत भार डाल देते हैं। १६. अत: वर्तमान में बाल विवाह निंद्य माना गया है । उससे बाल-विधवाओं की संख्या बढ़ती है। १७. राजा ने सात गुणों से युक्त एक राजपुत्र को देखकर उसके साथ पुष्पचूला का विवाह कर दिया। १८. राजा ने अपनी शक्ति के अनुसार उसे दहेज दिया। कौन माता-पिता अपने सामर्थ्य के अनुसार अपनी कन्या को नहीं देता? १९. लेकिन आजकल मनुष्य कन्या के पिता से धन मांग कर लेते हैं। इसलिए कन्या माता-पिता के लिए भारभूत हो गई है। २०. यह प्रवृत्ति निश्चित ही संसार में गर्हणीय है । इसके दुष्परिणाम सबके सामने आ गए हैं। २१. सात गुणों से युक्त एक कन्या को देखकर राजा ने उसके साथ पुष्पचूल का विवाह कर दिया। २२. इस प्रकार उन दोनों का विवाह कर राजा ने अपने लौकिक कर्तव्य का पालन किया। २३. जो व्यक्ति लौकिक व्यवहार में धर्म कहते हैं वे मूढ व्यक्ति धर्म का गूढ रहस्य नहीं जानते। २४. अपने कर्तव्य का पालन कर राजा मन में संतुष्ट था । वह पुत्र के साथ सुखपूर्वक राज्य करने लगा। प्रथम सर्ग समाप्त
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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