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________________ बंकचूलचरियं प्रथम सर्ग १. प्राचीन काल में एक नगर में विमल नामक राजा रहता था । वह नीतिज्ञ, न्यायवान्, जनप्रिय और धर्मानुरागी था। २. वह सज्जनों का सत्कार करता था और दुर्जनों को सदा दण्ड देता था। अत: जनता उसके राज्य में निर्भय होकर सुखपूर्वक रहती थी। ३. सुमंगला उसकी रानी थी। वह पति के पद का अनुगमन करने वाली थी। वह धीर, गंभीर, कार्य-दक्ष, प्रियभाषिणी और मृदु स्वभाव वाली थी। ४. वह पति के राज्य-कार्य में समयोचित मंत्रणा देकर अपने कर्तव्य का पालन करती थी और उसके यश को सदा बढ़ाती थी। ५. राजा उसे प्राप्त कर अपने हृदय में बहुत प्रसन्न रहता था। वह उसे सम्मानित कर उसके गौरव को बढ़ाता था। ६. कालान्तर में उसकी कुक्षि से एक रूपवान् पुत्र और एक रूपवती पुत्री का जन्म हुआ। ७. संतान को प्राप्त कर माता-पिता का हृदय सदा प्रमुदित रहता था। घर में संतान पाकर कौन व्यक्ति प्रसन्न नहीं होता? ८. राजा ने उत्सव कर पुत्र का नाम पुष्पचूल और पुत्री का नाम पुष्पचूला रखा। ९. रानी उसका सावधानीपूर्वक पालन करती थी और उसमें प्रतिपल सद्संस्कारों को भरने का प्रयत्न करती थी। १०. विज्ञ पुरुषों ने माता को ही सच्ची शिक्षिका कहा है । उसके दिए हुए सद्संस्कार कभी विलीन नहीं होते। ११. जब वे पढ़ने योग्य हुए तब माता-पिता ने उन्हें गुरु के पास अध्ययन करने के लिए भेजा। क्योंकि ज्ञान ही तीसरा नेत्र है।
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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