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________________ (xv) का कथाकोष (२३१ गाथा), देवभद्र का ( 1101 A.D) कथाकोष, शुभशील का कथाकोष (अपभ्रंश में), सारंगपुर निवासी हर्षसिंह गणी का कथाकोष, विनयचंद्र का कथाकोष (१४० गाथा में), देवेन्द्रगणी का कथामणि कोष इत्यादि ग्रन्थ प्रधान और उल्लेखयोग्य है । 1 मुनि विमलकुमार जी का कथानक काव्य इसी परम्परा का एक समायोजन है । जैसे ऊपर लिखित कवियों ने अपना काव्य लिखकर यश प्राप्त किया उसी तरह मुनि विमलकुमार जी भी ये छह आख्यान काव्य लिखकर उसी परम्परा से जुड़ गए हैं। विमलमुनि के साथ मेरा परिचय बहुत वर्षों से है । इनकी धी शक्ति, प्रज्ञा और रचना कौशल से मैं परिचित हूँ । कवित्व शक्ति इनमें स्वाभाविक है । कवि क्रान्तदर्शी और त्रिकालज्ञ होता है। इसी कारण वह दार्शनिक भी बन जाता है । इसीलिए हजारों वर्षों के पहले कवियों ने जो कुछ लिखा है वह आज भी आदरणीय और महत्वपूर्ण है। इसलिए राजतरंगीनी में कवि का एक सुंदर वर्णन किया गया है । कवि कौन हो सकता है ? जो कोऽन्यः कालमतिक्रान्तं नेतुं प्रत्यक्षतां क्षमः । कवि प्रजापतींस्त्यक्त्वा रम्यनिर्माणशालिनः ॥ विमलमुनि इस विवरण के अनुसार सुप्रसिद्ध अतिक्रान्तकालजयी कवि है । इस छह आख्यान भाग में इनकी रचना शैली इतनी सरल, स्पष्ट और माधुर्यपूर्ण है कि पढने से मालूम होता है कि कवि ने जन साधारण के लिए ही काव्य लिखा है। यह काव्य प्राकृत भाषा के पठन और पाठन के लिए बहुत ही मूल्यवान् और उपयोगी है। बीच बीच में प्राकृत सूत्र उल्लेखपूर्वक पदसाधन दिया गया है इसलिए ये एक महत्वपूर्ण अवश्यपठनीय प्राकृत ग्रन्थ हैं । मैं आशा करता हूँ कि ये ग्रन्थ पढकर प्राकृत शिक्षार्थी बहुत लाभान्वित होंगे । मैं यह आशा करता हूँ कि मुनि विमलकुमार जी भविष्य में इसी तरह काव्य ग्रन्थ लिखकर प्राकृत साहित्य को समृद्ध करेगें । दिनांक १५ मार्च १९९६ कलकत्ता विश्वविद्यालय शुभम् अस्तु डॉ. सत्यरंजन बनर्जी प्रोफेसर, कलकत्ता विश्वविद्यालय
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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