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________________ पाइयपच्चूसो अण । । । । । । । । । । । । । अहं अधिक अहित जवेइ जीओ झंखेइ १४९ सदसई (शब्दसूची) अइच्छेइ - जाता है . अकम्हा अचानक .. घत्तेइ अग्धं मूल्यवान चएइ अभिडेइ - साथ-साथ जाता है। चवेइ अड्डक्खेज्जा गिरा दो,फेंक दो चिन्धं नहीं चित्तं अयं लोह को चोज्जं पाप जठरम्मि अहियं जणिं अहियो - आगारेऊण बुलाकर जाएउं आयईए भविष्यत् काल में आसयं आश्रय उग्गेइ खोलता है झत्ति उत्ती उक्ति ढुण्दुल्लिउंउभं ऊपर णवर उव्वाहं विवाह को णवरि उअ देखो णाई उवयामं विवाह को णायं उवाणये भेंट में णारओ उरीकुणेज्जा - स्वीकार करो णीलुक्केज्जऊणे न्यूनता में तरेइ - ऊसुओ उत्सुक तह - ओणेइ दूर करता है तोण्डम्मि - ओणेंतो दूर करता हुआ थेणो ओहावेइ आक्रमण करता है थेयं कइवाहदिणा - कुछ दिन दक्खं कणी कन्या दिवहो कयग्यो कृतघ्न दुत्ति कुघस्सा - खराब दिन धिज्जं किसाणुपत्तं - अग्निपात्र पंफुल्लो. गग्गरमाणसा - गद्गद्मनवाली पक्कलो - गारवं गौरव पच्चलो - पच्चारेइ - **ulanza tributalii नाम फेंकता है छोड़ता है कहता है चिन्ह आश्चर्य,मन आश्चर्य,चोरी उदर में जन्म को बीताता है मांगने के लिए जीवित विलाप करता है शीघ्र खोजने के लिए केवल शीघ्र नहीं न्याय को नारकीय जीव जायें समर्थ होता है वहां मुख में चोर चौरी - निपुणता दिवहा - दिन शीघ्र प्रसन्न समर्थ गूढ समर्थ उपालंभ देता है
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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