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________________ 328 वीरोदय महाकाव्य और भ. महावीर के जीवनचरित का समीक्षात्मक अध्ययन वीरोदय के परिशीलन से ज्ञात होता है कि यह काव्य एक ओर तो शैली की दृष्टि से कालिदास के काव्यों की श्रेणी में आ जाता है, और दूसरी ओर दर्शनपरक होने से बौद्ध दार्शनिक महाकवि अश्वघोष के काव्यों के समकक्ष प्रतीत होता है। इस काव्य में ब्रह्मचर्य के साथ-साथ अहिंसा एवं अपरिग्रह के महत्त्व की शिक्षा देने में भी कवि का कौशल प्रकट होता है। सर्ग, भावपक्ष, कलापक्ष एवं चरित सम्बन्धी सभी महाकाव्यगत विशेषतायें इसमें दृष्टिगोचर होती है; इस प्रकार यह महाकाव्य तो है ही, इसमें जैन इतिहास और पुरातत्व के भी दर्शन होते हैं। स्याद्वाद और अनेकान्त का विवेचन होने से यह ग्रन्थ न्यायशास्त्र तथा शब्दों का संग्रह होने से शब्द-कोश भी है। __महाकाव्य के माध्यम से आदर्श जीवन-चरित पर प्रकाश डालना कवि का मुख्य ध्येय रहा है। इसीलिये उन्होंने काव्य का ऐसा पौराणिक कथानक चुना है, जिसका नायक धर्म से अनुप्राणित है और जिसके जीवन का चरम लक्ष्य मोक्ष है। इस काव्य का नायक धीरोदात्त, लोकविश्रुत भगवान् महावीर है। तीर्थंकर महावीर में एक आदर्श नायक के सभी गुण विद्यमान हैं। वे परम धार्मिक, अद्भुत सौन्दर्यशाली, सांसारिक मोह-माया से विरक्त, जैनधर्म के उद्धारक, दुखियों का कल्याण करने वाले हैं। कुण्डनपुर के राजा सिद्धार्थ और रानी प्रियकारिणी महावीर के माता-पिता हैं। नायक-प्रधान इस काव्य का नाम काव्य के नायक के नाम पर ही आधारित है। नायक का नाम है महावीर और महावीर के अभ्युदय से शान्त-रस की स्थापना ही कवि का लक्ष्य है। काव्य के नायक और काव्य के लक्ष्य के आधार पर कवि ने इस काव्य का नाम जो 'वीरोदय' वीर का उदय-अभ्युन्नति रखा है, वह सर्वथा उचित है। काव्य के परिशीलन से यह पूर्णरूपेण ज्ञात हो जाता है कि वीर भगवान् युद्धवीर तो नहीं, पर धर्मवीर अवश्य हैं, उन्होंने ब्राह्य शत्रुओं से युद्ध न करके आन्तरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर मोक्ष-लक्ष्मी का वरण किया। इस प्रकार 'वीरोदय' में नायक का ही अभ्युदय दिखलाया है तथा जीवन के विविध पक्षों का उद्घाटन कर महच्चरित की प्रतिष्ठा की है।
SR No.006158
Book TitleViroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamini Jain
PublisherBhagwan Rushabhdev Granthmala
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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