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________________ सं० १८५२ रो लिखत (साधवियां री मरजादा रो) ५. (पृष्ठ २५ से संबंधित) सर्व साधवियां रे मर्यादा बांधी छै आचार तो चोखो पाळणो नैं मांहोमां गाढो त राखणो । तिण ऊपर मर्यादा बांधी १. टोळा रा साध - साधवियां में साधपणों सरधो, आप मांहै साधपणों सरधो तिका टोळा माहै रहिजो । काइ कपट दगा सूं साधवियां भेळी रहै तिण नै अनंता सिद्धां री आण छै। पांच पदां री आंण छै । साधवी नाम धराय नै असाधवियां भेळी रह्यां अनंत संसार बधै छै। जिण रा चोखा परिणाम हुवै ते इतरी प्रतीत उपजाओ। २. किण ही साध साधवियां रा आंगुण बोल नै मन भांग नै फारण रा त्याग छै । खोटा सरधाय नै फारण रा त्याग छै । किण ही सूं साधुपणो पळतो दीसै नहीं अथवा कि सूं सभाव मिलतो दीसे नहीं अथवा कषायण धेठापणो जाण नैं कोइ कनै न राखै, तिण नै अळगी करै, अथवा खैत्र आछो न बतायां अथवा कपड़ादिक रे कारण अजोग जाण नै टोळा सूं दूर करती जाणै इत्यादिक अनेक कारण ऊपनै टोळा सूं न्यारी पड़ै तो किण ही साध - साधवियां रा आंगुण बोलण रा त्याग छै । ३. हुंता अणहुंता खूंचणां काढण रा त्याग छै। ४. रहिसै - रहिसै लोका नै संका घाल नै आसता उतारण रा त्याग छै । ५. कदा कर्म जोगे तथा कषाय रे वस सर्व टोळा रा साध-साधवियां नै असाध सधै, आप में पिण असाधुपणों सरधै टोळा सूं न्यारी परै अथवा भेषधारयां मांहै जाए तो पिण अठरा साध-साधवियां रा आंगुण बोलण रा त्याग छै । ६. किण ही साध आर्य्यां मांहै दोष देखे तो ततकाळ धणी नैं कहिणो, कै गुरां नै कहिणो, पण औरां ने कहिणो नहीं । ७. किण ही रा टोळा सूं न्यारा होण रा परिणाम हुवै जब पिण ओरां री परती हिरा त्याग छै । ८. आप में टोळा रा साध - साधवियां मैं साधपणों सरधो तका टोळा मांहि हिजो । ठागा सूं मां रहिण रा अनंता सिद्धां री साख कर नै पचखांण छै । ९. टोळा माहै पाना लिखै बलै कोइ साधु-साधवियां देवै अथवा ग्रहस्थ आगे जाचै ते टोळा सूं छूटै न्यारी हुवै ते साथै लै जावण रा त्याग । परत पाना साधां नै संप देणा। पाना साधां रा छै, साथै ले जावणां नहीं । १०. पातरा लोट टोळा मांहै करै, जाचै ते पिण साथै ले जावणां नहीं टोळा री श्राय छै, टोळा माहै छै, त्यां लगै उणरा छै । परिशिष्ट : लिखता री जोड़ : ४४७
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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