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________________ १३ बलि अचित्त पीपळ ले, हळद, लोद, ले हाथ । बलि कुटक चीरायतो, नींबू अचित्त विख्यात ॥ १४ बलि दाळचीनी ले, जावंत्री ने खटाई । लकड़ी ताई || कायफळ ने फिटकड़ी, मेदा १५ दाडिम नों छोडो', अमल, तमाखू जाण । मुरबा रा आंवला, गुळकंद, सेत पिछाण || १६ हरडे, बेहडा, आंवला, सोनामुखी, नसोत । खेरसार एलियो, ओषध अर्थ सुहोत ।। १७ इत्यादिक वस्तु, ओषध अर्थे जाण । कर स्यूं ले मुनिवर, बलि मांगी ले पिछाण || १८ ए सगली वस्तु, ओषध विन मुनिराय । कर स्यूं नहीं लेवे, बली मांगी ले नांय ॥ १९ नित संघण खावण, लिये तमाखू आद । अंजन कर स्यूं ले, बलि तनु-लेप संवाद ।। २० ए सगळी वस्तु, पाडियारी मुनिराय । जो पाछी देवे, तो पिण दोषण २१ लूंग सूंठ आद जे, गृहस्थ धामे कारण सूंठ आद जे, २२ लवंग, सूंठ आद जे, हिवै कुणकुण वस्तु, ओषध कर स्यूंन २३ गुल, खांड, पतासी, दूध दही पकवान । २५ माखण घृत, ओषध अर्थे पिण, कर स्यूं न लिये जाण ॥ २४ लाडू मेथी ना, खाजा, सांकुली आद। ओषध अर्थे पिण, कर स्यूं न लिये साध ॥ बूरो, के पाक तरकारी । ओषध अर्थे पिण, कर स्यूं न लिये लिगारी ॥ २६ कपड़ा रे लगावा, तेलादि पहिछाण । कर स्यूं नहीं लेवे, गणि आणा अगवाण ।। २७ तन मरदन काजे, कर स्यूं लेवे तेल । पिण घृत नहीं लेवे, ए सुगुरु आण शिष्य झेल ॥ १. छिलका २. शहद ३६६ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था ओषध निज ओषध निज नांय ॥ जोय । लेवो । कर कर लेवो । ग्रहेवो ॥
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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