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________________ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४० ए गया अनंता मोखो | दोष सेवियो तिको दोष पिण, नटियो ते पिण दोषो । दोनूंइ दोष आलोइ, लगावी, प्राछित देणौ, एक मास रो दोष रहित आलोवै । आराधक होवै ॥ एक मास नो मास नों तो दोय मास नों प्राछित देणो, एक दोष लगावी, सहित आलोयो । सम होयो । आलोयो । दोय मास नो दोष सेवनै, अवलोयो । तो दोय मास नों दोय मास नों तो तीन मास नों आलोयो । आराधक होयो । तीन मास नों दोष सेवनें, कपट रहित आलोयो । अवलोयो ॥ तो तीन मास नों प्राछित देणो, ए वीर वचन तीन मास नों दोष सेवनें, कपट सहित अवलोयो । आलोयो । म राखो कोयो ॥ तो च्यार मास नो प्राछित देणो, आलोयां सुध होयो ॥ च्यार मास नों दोष सेवनें, तो च्यार मास नों प्राछित देणो, च्यार मास नों दोष सेवने, कपट सहित तो पांच मास नों प्रायश्चित्त देणो, कह्यो पाठ पांच मास नों दोष सेवनें, तो पंच मास तणो दंड देणो, पंचमास नो दोष सेव नें, तो छमास तणो दंड देणो, तिण उपरंत दोष जे सेवी, अथवा कपट सहित आलोयां, कपट इम कपट ए कपट झूठ बहु बार दो मास तणो, कपट सहित आलोयां तिण नें, कपट रहित ए जिन वच सहित प्राछित देणो, दोष सेवने, प्राछित देणौ, इम कपट कपट रहित संक आलोयो । में सोयो । आलोयो । कपट सहित श्री जिन वच कपट सहित व्यवहार सूत्र कपट रहित छमासी दंड बहु बार इक मास तणों, दोषण सेवी नें कपट रहित आलोयां तिण नें, एक मास दंड बहु बार इक मास तणों, कपट सहित आलोयां तिण नें, बहु बार दोय दोषण सेवी दोय मास मास तणों, दोषण सेवी कपट रहित आलोयां तिण नें, दोय मास ए होयो । आलोयो । मायो || आळोयो । होयो । तायो । आयो ॥ रे नें दंड नें दंड दोषण सेवी नें तीन मास दंड तायो । थायो ॥ तायो । थायो ॥ तायो । आयो । शिक्षा री चोपी : ढा० २६ : १२१
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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