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________________ प्रश्न : यदि ऐसा है तो फिर 'मूर्तिपूजा कोई आगमों में नहीं है ' ऐसा क्यों कहा जाता है ? उत्तर : यह तो ऐसा कहनेवालों से ही पूछना चाहिए। वास्तविकता यह है कि हजारों सालों से ४५ आगम और अन्य शास्त्र चले आ रहें है। लेकिन अपनी मतिसे ही निर्णय कई लोगोंने कर लिया कि मूर्तिपूजा पाप है। और जो आगमोंमे मूर्तिपूजा स्पष्ट रुपसे बताई है उन्हें अमान्य करके बाकीके आगम ही माने । (वास्तवमें तो उन आगमोमें भी मूर्तिपूजा मान्य है ऐसा हम बता चुके है ।) और अन्य शास्त्रोमें तो सर्वत्र मूर्तिपूजा की बात की है। इसलिये उन्हें सर्वथा अमान्य कर दिया। आश्चर्य यह है कि उन आगमों के अर्थ करने के लिये भी सहारा तो स्वयं जिन्हें अमान्य मानते थे उन्हीं शास्त्रों नियुक्ति-भाष्य-वृत्ति आदि का लिया। क्योंकि उसके बिना चारा ही नहीं था। उन शास्त्रोंके बिना मूल आगमोंका अर्थ करना असंभव था और है। आज भी आगमों का अनुवाद उन शास्त्रों के सहारे ही होता है चाहे कोई भी संत करे। स्वयं को मान्य आगमोंमें जहाँ पर मूर्तिपूजा की बात थी, उन शास्त्रपाठों के साथ खिलवाड करके बदल दिया। उल्टे-पुल्टे अर्थ किये। देखिए, संत श्री विजयमुनीशास्त्री अमरभारती (दिसम्बर १९७८,पृ.१४) में लिखते हैं- 'पूज्यश्री घासीलालजी म. ने अनेक आगमों के पाठों में परिवर्तन किया है,तथा अनेक स्थलों पर नये पाठ बनाकर जोड दिये हैं। इसी प्रकार पुष्फभिक्षुजी म. ने अपने द्वारा संपादित सुत्तागमे में अनेक स्थलों से पाठ निकालकर नये पाठ जोड दिये हैं। बहुत पहले गणि उदयचन्द्रजी महाराज पंजाबी के शिष्य रत्नमुनिजीने भी दशवैकालिक आदिमें सांप्रदायिक अभिनिवेश के कारण पाठ बदले हैं।' कोई भी मध्यस्थ व्यक्ति, जो सत्य का पक्षपाती है, आत्महित चाहता है, वह इन संतोंको पूछे कि '४०० या ज्यादा वर्ष पुरानी हस्तलिखित प्रतो में वह आगमका पाठ बतायें' तो वास्तविकता प्रकाशमें आ जायेगी। अब आगमों के अर्थों के साथ कैसा खिलवाड हुआ है , यह देखिए । श्री रायप्पसेणिय सूत्रमें (जो मूल आगमोंमें है) 'देवलोकमें जिनेश्वर भगवान की अवगाहना प्रमाण १०८ जिनप्रतिमा, पद्मासनमें, ऋषभ, वर्धमान, चन्द्रानन और वारिषेण जिनकी है' ऐसा मूल
SR No.006135
Book TitleKya Jinpuja Karna Paap Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhayshekharsuri
PublisherSambhavnath Jain Yuvak Mandal
Publication Year
Total Pages24
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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