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________________ भरहेसर- बाहुबली सज्झाय कलंक देनेवाले सास-ससुर के लिए भी मन में कोई कुविचार नहीं आया । माता-पिता और सगे भाईयों की तरफ से भी तिरस्कार मिलने पर उन्होंने कभी उनके विरुद्ध कोई फरियाद नहीं की। सभी परिस्थितियों में अपने ही कर्म को अपराधी मानकर शुभध्यान में स्थिर रहीं। ऐसी सती के चरणों में मस्तक झुकाकर हम भी ऐसी शक्ति पाने की प्रार्थना करें " १५. (६८) सिरीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी सती श्रीधर राजा की परम शीलवती पत्नी थीं। एक के बाद एक दो विद्याधरों ने उनको हरण कर, शील से डिगाने की कोशिश की; परन्तु वे पर्वत की तरह निश्चल रहीं । अंत में संयम लेकर वे स्वर्ग में गई और वहाँ से मोक्ष में जाएँगी । - २५१ “धन्य है श्रीदेवी सती को, जिन्होंने शीलधर्म को ही अपना प्राण और त्राण माना और उसकी रक्षा के लिए संकटों का सहर्ष स्वीकार किया ।" १६. (६९) जिट्ठ - श्रीमती ज्येष्ठा ज्येष्ठाजी भी चेड़ा राजा की सात पुत्रियों में से एक थीं। वे वीर प्रभु के बड़े भाई नंदिवर्धन राजा की पत्नी थीं । प्रभु से उन्होंने बारह व्रत ग्रहण कर दृढ़ता से उनका पालन किया था । उनके शील की इन्द्र ने भी प्रशंसा की थी । “शीलादि धर्म में अडिग रहनेवाली हे महासतीजी ! सैंकड़ों प्रलोभनों के बीच भी आपके व्रतपालन की अडिगता को हम कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं ।”
SR No.006128
Book TitleSutra Samvedana Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2015
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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