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________________ परिग्रह और हिंसा का प्रतिक्रमण गाथा - ३ ऐसी विचारधारा के कारण भौतिक पदार्थों की क्षणभंगुरता को जानकर, उनके प्रति असारता का भाव उत्पन्न होता है एवं सावद्य प्रवृत्ति से उत्पन्न हुई वैर की परंपरा को जानकर उसके प्रति अरुचि प्रकट होती है। फल स्वरूप यदि कभी भौतिक पदार्थों का संग्रह करना पड़े या सावद्य प्रवृत्ति करनी पड़े तो भी जीव खुशी से नहीं करता। इसलिए ही श्रावक को परिग्रह या सावद्य प्रवृत्ति करने पर भी पाप का अनुबंध नहीं होता । प्रतिक्रमण का यही फल है कि, या तो पाप होता ही नहीं और अगर हो तो खुशी-खुशी नहीं होता । ५७
SR No.006127
Book TitleSutra Samvedana Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2009
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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