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________________ आठवाँ व्रत गाथा-२५ १८३ ध्यान रखना है, उसी प्रकार साधनामय जीवन में कहीं भी महाशत्रुभूत प्रमाद का पोषण न हो जाए उसका भी विशेष ध्यान रखना है। अत: प्रत्येक प्रवृत्ति करते हुए श्रावक को सतत जागृत रहना है एवं जीवदया का भाव और प्रयत्न बनाए रखने हैं। जब श्रावक प्रमाद के अधीन होकर इस प्रयत्न से चूक जाता है तब यह व्रत दूषित होता है। ऐसी ही क्रियाओं को अब सूचित करते हैं - ण्हाण - स्नान । परमात्मा की पूजा के लिए शास्त्र में बताई हुई विधि के अनुसार छाने हुए परिमित पानी द्वारा स्नान करने से इस व्रत में बाधा नहीं आती, परंतु शरीर के प्रति आसक्ति से, अपरिमित जल से एवं त्रस जीवों से युक्त स्थानों में स्नान करने से तथा बार-बार स्नान करने से यह व्रत दूषित होता है। शावर, बाथ-टब, स्वीमिंग, वॉटर पार्क, वॉटर फाइट्स, वॉटर राइड्स, झरने, सोना बाथ, स्टीम बाथ, वाटर फॉल्स, जकुझी, राफटींग, जलाशयों आदि स्थानों पर होती हिंसा तो निष्प्रयोजन हिंसा ही है। अतः ‘अनर्थदंड विरमण व्रत' पालते हुए श्रावक को इन सबका त्याग कर देना चाहिए। उव्वट्टण - उद्वर्तन । शरीर का मैल दूर करने के लिए हल्दी या चंदन का उबटन, पीठी वगैरह पदार्थ लगाने के बाद जो मैल निकलता है, उसे उद्वर्तन कहते हैं तथा फेशियल, जीवसंसक्त या सचित्त वस्तुओं का शरीर पर मर्दन करना या मर्दन करके शरीर का मैल उतारना उद्वर्तन है। इस मैल को मनचाही जगह पर फेंकने से उसमें अंतर्मुहूर्त के बाद संमूर्छिम मनुष्य के साथ साथ दूसरे भी अनेक प्रकार के जीवों की उत्पत्ति होती है, जो हिंसा का कारण होती है। इस के अतिरिक्त मेनीक्योर, पेडिक्योर आदि करवाने में जो हिंसा होती है वह हिंसा भी निष्प्रयोजन हिंसा है। 6. श्राद्धविधि प्रकरण में स्नान की विधि इस प्रकार बताई गई है - स्नानमप्युत्तिङ्गपनककुंन्ध्वाद्यसंसक्तवैषम्यशुषिराद्यदूषित भूभागे। परिमितवस्त्रपूतजलेन संपातिमसत्त्वरक्षणादियतनया कुर्यात् ॥ अर्थ : (स्वयं प्रवर्तक ग्रहस्थ) स्नान भी कीड़ियों की जगह, लील एवं कुंथुओं आदि से असंसक्त, विषमता एवं पोलाण आदि से दूषित न हो ऐसी भूमि पर, परिमित पानी से, संपातिम जीवों की रक्षा आदि सहित यतनापूर्वक करना चाहिए। गाथा ५की टीका
SR No.006127
Book TitleSutra Samvedana Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2009
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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