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________________ ६८ अनुक्रमणिका क्रम विषय पृष्ठ संख्या | क्रम विषय पृष्ठ संख्या A भूमिका * अप्रशस्त योग का प्रतिक्रमण ६६ B वंदित्तु १६-२९६ * चित्तवृत्ति का संस्करण १. सूत्र परिचय दर्शनाचार २. गाथा का क्रम गाथा-५ आगमणे निग्गमणे० ३. मूल सूत्र * सम्यग्दर्शन के तीन बाह्य ४. गाथा-१ वंदित्तु० अतिचार ७१ * मंगलाचरण गाथा-६ संका कंख विगिच्छा० ७४ * विघ्नों के प्रकार * सम्यग्दर्शन के पांच आंतरिक * पंच परमेष्ठी की वंदना अतिचार * श्रावक का धर्म * चित्तवृत्ति का संस्करण * श्रावक धर्म के अतिचार ९. चारित्राचार * अनुबंध चतुष्टय गाथा-७ छक्काय-समारंभे० ८० गाथा-२ जो मे वयाइआरो० * चारित्राचार संबंधी अतिचार ८१ * अतिचार का स्वरूप गाथा-८ पंचण्हमणुब्बयाणं० ८४ * निंदा का स्वरूप * बारह व्रतों के अतिचारों का * गर्दा का स्वरूप सामान्य से प्रतिक्रमण ६. गाथा-३ दुविहे परिग्गहम्मी० १०. पांच अणुव्रतों के अतिचारों * आरंभ, समारंभ एवं संरंभ का प्रतिक्रमण * स्वरूप हिंसा प्रथम व्रत * हेतु हिंसा गाथा-९ पढमे अणुव्वयम्मी० * अनुबंध हिंसा * हिंसा के प्रकार * अनुमोदना के तीन प्रकार * भाव हिंसा से बचने के उपाय * चित्तवृत्ति का संस्करण * व्रत की प्रतिज्ञा ७. ज्ञानाचार * सवा वसा की दया गाथा-४ जंबद्धमिदिएहि ५८ * प्रमाद के प्रकार * प्रशस्त प्रवृत्ति एवं अप्रशस्त * व्रत पालन का फल प्रवृत्ति गाथा-१० वह-बंध-छविच्छेए० * प्रशस्त कषाय व अप्रशस्त * प्रथम व्रत का अतिचार * चित्तवृत्ति का संस्करण कषाय
SR No.006127
Book TitleSutra Samvedana Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2009
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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