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________________ खमासमण सूत्र सूत्र परिचय : यह सूत्र क्षमादि गुण जिनको सिद्ध हैं, ऐसे अरिहंत और सिद्ध भगवंतों को एवं उत्कृष्ट क्षमा के लिए जो प्रयत्न कर रहे हैं, ऐसे क्षमाश्रमण को वंदन करने में उपयोगी होने से इसे 'खमासमण सूत्र' के नाम से पहचाना जाता है । इस सूत्र के द्वारा दो हाथ, दो घूंटने एवं मस्तक स्वरूप पाँच अंगों को झुकाकर नमस्कार होता है, इसलिए उसका दूसरा नाम 'पंचाग प्रणिपात' सूत्र भी है। इस सूत्र का तीसरा नाम 'थोभवंदन' भी है क्योंकि तीन प्रकार के वंदन में से मुख्यतया थोभवंदन में इस सूत्र का बहुत उपयोग होता है । 1. सामान्य रूप से गुरुवंदनभाष्य में गुरुवंदन के तीन प्रकार वर्णित हैं । ९. फिट्टा वंदन - फिट्टा अर्थात् रास्ता । रास्ते पर चलते हुए दो हाथ जोडकर मस्तक झुकाकर 'मत्थुण वंदामि' कहकर जो वंदन किया जाता है, उसे फिट्टा वंदन या फेंटा वंदन कहते हैं । यह जघन्य वंदन है। २. थोभ वंदन - स्तभ अर्थात् रुकना; याने रूककर किया गया वंदन. खड़े रहकर, पंचाग प्रणिपात सहित इच्छकार, अब्भुट्ठिओ सूत्र बोलते हुए वंदन करना थोभवंदन है, यह मध्यम वंदन है। ३. द्वादशावर्त वंदन - बारह आवर्त्तपूर्वक पूर्ण रीति से किया हुआ 'वंदन' उत्कृष्ट वंदन है । यह वंदन पदस्थ मुनि भगवंतों को किया जाता है ।
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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