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________________ DHARANAMRAalionlaiuraKAAHAS R 4. पांच ज्ञान A. ज्ञान की आशातना हमें ज्ञान चढता न हो, तो उसका कारण हमारे द्वारा ही पूर्व भव में बांधा हुआ ज्ञानावरणीय कर्म ही है, अब उस कर्मबंधन से बचने के लिये और ज्ञान हमें चढे, हमारा पढा हुआ हमें याद रहे उसके लिए निम्नलिखित ज्ञान की आशातना से बचें:(अ) ज्ञान की आशातनाः- धार्मिक सूत्र – ये ज्ञान है। इन सूत्रों को अशुद्ध पढना-पढाना भी ज्ञान की आशातना है और धार्मिक ज्ञान पढने के प्रति अरुचि या नापसंदगी बताना, पढने में प्रमाद करना, उकताहट बताना, पढा हुआ याद रखने का प्रयत्न न करना, पढने वाले को बाधा पहुँचाना, ये भी ज्ञान की आशातनाएँ है, अनादर है। (आ) ज्ञान के साधनों की आशातना: - ज्ञान पढने में उपयोगी पुस्तक, सापडा, ठवणी, नवकारवाली, पेन, पेंसिल, स्केल और रबर आदि ज्ञान साधनों को थूक, पसीना लगाने से व अपने शरीर का मैल लगाने से, उन पर बैठने से, उन्हें पाँवों तले रौंदने से, लात मारने से, उन्हें साथ में रखकर खाने-पीने से, लघुशांका-दीर्घ शंका (संडास-पेशाब) करने से, उन्हें तोडने-फोडने से उनकी आशातना होती है। ___ ज्ञान की कोई भी वस्तु को गिराएँ नहीं, उसे पाँव न लगाएँ, पाँव का स्पर्श हो जाए तो मस्तक झुकाकर प्रणाम करें। पुस्तक को फेंके भी नहीं, न ही उसका तिरस्कार करें। स्कूल से आने के पश्चात् पुस्तक का थैला-बेग चाहे जहाँ-तहाँ फेंकें नहीं, न ही लात मारें, बल्कि धीरे से अच्छे ढंग से योग्य स्थान पर रखें। छपे हुए या कोरे कागज जलाएँ नहीं, उन पर पेशाब-शौचादि न करें, समाचार पत्र या पुढे आदि पर बैठें नहीं, उस पर पाँव भी न रखें, कागज की डिश में बडे-भुजिये आदि न खाएँ, पार्टी वगैरह में भोजन के बाद कागज के नेपकिन से हाथ साफ न करें, क्योंकि अक्षर श्रुतज्ञान है और ये अक्षर जस पर लिखे होते हैं वह धार्मिक या अधार्मिक पुस्तक-पेपर-कागज या बिना लिखा कागज भी ज्ञान का साधन है। पेन-पैंसिल कागज आदि ज्ञान के साधन होने से उन्हें भी मुँह में, नाक में या कान में न डालें, क्योंकि उन्हें थूक या मैल लगने से ज्ञान की आशातना होती है। पुस्तक-नोट बुक के पृष्ठ खोलते समय थूक न लगाएँ। सोते-सोते नहीं पढना चाहिए। मार्ग पर चलते समय कागज या अक्षरों पर भी पाँव न लगे इस प्रकार नीचे दृष्टि डालकर चलें। अक्षर वाले वस्त्र न पहने। कागजों को गटर में न फेंके, नाम या अक्षरवाली मिठाई-बिस्किट, चॉकलेट, पीपरमिंट न खाएँ। इस प्रकार अन्य भी अनेक ज्ञान साधनों की आशातना के प्रकार है जिन्हें स्वयं समझकर ज्ञान की आशातना से बचें। ANAADALLAHAadiuaikolaRNAaluiA.ANAMANCE.RAPHALOKHARAJamiANMagaraa-MyIRNERARAMES -18
SR No.006119
Book TitleJain Tattva Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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