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________________ 32 B. पच्चक्खाण A. चौविहार दिवस चरिमं पच्चक्खाई, चउव्विहंपि आहारं असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरइ । B. तिविहार - दिवस चरिमं पच्चक्खाई, तिविहंपि आहारं असणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरइ । - C. सामायिक लेने की विधि (प्रथम स्थापनाचार्यजी के सामने दाहिना हाथ रखकर नवकार व पंचिंदीय बोले, फिर एक खमासमण देकर इरियवाहियं, तस्स उत्तरी, अन्नत्थ तक बोले ।) फिर काउस्सग्ग मुद्रा में एक लोगस्स चंदेसु निम्मलयरा तक बोलना। अगर नहीं आता हो तो चार नवकार का काउस्सग्ग करना, फिर प्रगट लोगस्स कहना फिर इच्छामि खमासमणो । वंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए मत्थएण वंदामि । इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक मुँहपत्ति पडिलेहुँ ? 'इच्छं' (ऐसा कहकर पसाच बोल से मुहपत्ति का पडिलेहण करना) फिर इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए मत्थएण वंदामि । इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक संदिसाहुं ? 'इच्छं' इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए मत्थएण वंदामि । इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक ठाऊं? 'इच्छं' (ऐसा कहकर हाथ जोड़कर एक नवकार गिनकर) इच्छकारी भगवन् । पसाय करी सामायिक दंडक उच्चरावोजी । (ऐसा कहकर मस्तक पर दोनों हाथ जोड़कर एक नवकार गिनकर करेमि भंते, उच्चरना) (फिर) इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए मत्थएण वंदामि | इच्छाकारेण संदिसह भगवन्! बेसणे संदिसाहू ? 'इच्छं' (फिर)
SR No.006115
Book TitleJain Tattva Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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