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________________ 如一日四码四列网可印丽明明啊啊E B司啊阿阿羽羽测测钢研 ૨૦૨ હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલીઃ ભાગ-૧ પહેલા ગણના ઈચ્છાદર્શક રૂપ ધાતુ | વર્તમાના | હ્યસ્તની 7 વિધ્યર્થ |. આજ્ઞાર્થ | ઋસ્તની सृ ५.५. | सिसीर्षामि असिसीर्षम् | सिसीयम् सिसीर्षाणि |सिसीर्षितास्मि स्मृ ५.५. | सुस्मूर्षे असुस्मूर्षे सुस्मूर्षय सुस्मूर्षे सुस्मूर्षिताहे __५.५. | चिक्षीषामि अचिक्षीषम् । | चिक्षीषेयम् चिक्षीषाणि चिक्षीषितास्मि गम् ५.५. | जिगमिषामि अजिगमिषम् | जिगमिषेयम् | जिगमिषाणि जिगमिषितास्मि ५.५. | दिदृक्षे अदिदृक्षे दिदृक्षेय | दिदृ? दिदृक्षिताहे __५.५. | तिष्ठासामि अतिष्ठासम् | तिष्ठासेयम् |तिष्ठासानि तिष्ठासितास्मि ५.५. | दित्सामि अदित्सम् | दित्सेयम् | दित्सानि दित्सितास्मि ५.५. | पिपासामि अपिपासम् पिपासेयम् | पिपासानि पिपासितास्मि वन्द् मा.५. विवन्दिषे अविवन्दिषे | विवन्दिषेय | विवन्दिषै विवन्दिषिताहे वृध् ५.५. विवृत्सामि अविवृत्सम् विवृत्सेयम् | विवृत्सानि विवृत्सितास्मि वृध्. मा.५. विवर्धिषे अविवर्धिषे | विवर्धिषेय विवर्धिषै विवर्धिषिताहे ____५.५. | पिपक्षामि अपिपक्षम् | पिपक्षेयम् पिपक्षाणि पिपक्षितास्मि मा.५. | पिपक्षे अपिपक्षे | पिपक्षेय | पिपक्ष पिपक्षिताहे ह ५.५. | जिहीर्षामि अजिहीर्षम् | जिहीर्षयम् | जिहीर्षाणि जिहीर्षितास्मि हृ मा.५. | जिहीर्षे अजिहीर्षे | जिहीर्षेय | जिहीर्षे जिहीर्षिताहे ___.५. डिडयिषे अडिडयिषे | डिडयिषेय डिडयिषै |डिडयिषिताहे मा.५. | बिभाषिषे अबिभाषिषे | बिभाषिषेय | बिभाषिषै. बिभाषिषिताहे रम् मा.५. | रिंसे अरिंसे | रिंसेय रिरंसै |रिरंसिताहे म.५. लिप्से । अलिप्से | लिप्सेय लिप्सिताहे वृत् ५.५. विवृत्सामि अविवृत्सम् | विवृत्सेयम् | विवृत्सानि विवृत्सितास्मि वृत् मा.५. विवर्तिषे अविवर्तिषे | विवर्तिषेय | विवर्तिषै विवर्तिषिताहे मा.५. | शुशुभिषे अशुशुभिषे | शुशुभिषेय शुशुभिषिताहे मा.५. | शुशोभिषे अशुशोभिषे शुशोभिषेय शुशोभिषिताहे म.५. | सिषेविषे असिषेविषे | सिषेविषय | सिषेविषै सिषेविषिताहे - मा.५. | सिस्वादिषे असिस्वादिषे | सिस्वादिषेय सिस्वादिषै सिस्वादिषिताहे नी ५.५. निनीषामि अनिनीषम् निनीषेयम् निनीषाणि निनीषितास्मि नी मा.५. निनीषे अनिनीषे निनीषेय निनीषै निनीषिताहे __५.५. | यियाचिषामि अयियाचिषम् | यियाचिषेयम् यियाचिषाणि यियाचिषितास्मि याच् ॥५. | यियाचिषे अयियाचिषे | यियाचिषेय यियाचिषै यियाचिषिताहे राज् ५.५. | रिराजिषामि अरिराजिषम् |रिराजिषेयम् |रिराजिषाणि रिराजिषितास्मि राज् मा.५. | रिराजिषे अरिराजिषे |रिराजिषेय रिराजिषै रिराजिषिताहे. | लिप्स | शुशुभिषै | शुशोभिषै
SR No.006057
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages308
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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