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________________ राम और रहीम (१) तुम राम कहो, वह रहीम कहें, दोनोंकी गरज अल्लाहसे है, तुम दीन कहो, वह धर्म कहें, मंशा तो असीकी राहसे है. तुम अिश्क कहो, वह प्रेम कहें, मतलब तो असीकी चाहसे है, वह योगी हों, तुम सालिक हो, मकसूद दिले आगाहसे है. क्यों लड़ता है मूरख, बंदे ! यह तेरी खाम खयाली है, है पेड़की जड़ तो ओक वही, हर मजहब अक अंक डाली है. (२) बनवाओ शिवाला या मसजिद, है आँट वही, चूना है वही, मेमार वही, मजदूर वही, मिट्टी है वही गारा है वही. तकबीरका जो कुछ मतलब है, नाकूसका भी मंशा है वही, तुम जीनको नमाजें कहते हो, हिन्दुके लिये पूजा है वही. फिर लड़नेसे क्या हासिल है ? जी फहम हो तुम नादान नहीं. जो भाई पै दौड़ें गुर्रा कर वह हो सकते अिनसान नहीं. (३) क्या कत्ल व गारत खूरेजी तारीफ यही ीमानकी है ? क्या आपसमें लड़कर मरना तालीम यही कुरआनकी है ? अिन्साफ करो, तफसीर यही क्या वेदोंके फरमानकी है ? क्या सचमुच यह खूखारी ही आला खसलत अिनसानकी है ? तुम जैसे बुरे आमाल पे अपने कुछ तो खुदासे शर्म करो! पत्थर जो बना रक्खा है 'सीद' अिस दिलको जरा तो नर्म करो!
SR No.005971
Book TitleGita ane Kuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarlal Shastri
PublisherNavjivan Prakashan Mandir Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages246
LanguageGujarati
ClassificationInterfaith
File Size9 MB
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