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________________ प्रवाह छे जी खाजा के खनुच्चा चल सांगे सनुहैया करवानी ४३२ लोगे नहि तासीर छे डटको चला सेवा सेवाकी होच छे 211 युग्मों शब्दोंनी हवा रे छे तो पण असंत्रे देवे सेवा क तो डोंटसे यहा वापरला जेड वाजा खापीचे खे खाम కార aa डरीचे को खेम समावन खजेता होय छे सेवा शब्द शब्देन व्यालिया छे पूछीतो जेडतो. वडीलो जधा व उद। खमे सेवा सेवालो मस्तमो खापवानी होच हू पाप लाग नानो चल धर्म खवसरे ह्या पानांचं हचान होय. संयुक्ा चूल्हे लाक्तिलाघ नहि, सांधे करोता चल महात्माना खबरे डरवानी अलुन याप . न करो तो पण सुपात्रना नम्रताजा व्यवहार हाजसामा, देखो सात्यंत पवित्र छत्ता पोटी नम्रता न होवा डिता खतिशय गुंगवान संयुक्यमा सेवानी लोग हतो होथी छेक सुधी मियात्थ 베 रथा तामली तापस) · छे झूछा तामसी तापस कैसी उक्षांना संन्यासी थे, यानहान श्रीमंत दुईजना नजीरो के साथ परोपकारी सबकन असँगै गाममो जधाने सहाय रे छेजापनी नेम पूछे छे या तापसने तेमने Preh सहाय खेड खावे छे કરી મજા पुल्य तेली न्यू युल्य - छे. मने चूष g दिवस वियार खालु चुल्य मायु छे होथी खा શૂક વું પણ પૂછી બાવતા જાવે सब्अर्थ नाह 218 , થવા ા કરવું विचार
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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