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________________ निर्यक्तिभाष्यादिश्लोकानां अकारादिक्रमः * 3११ जीवमजीवे पाआ०..... ॥भा.१५६॥ | जो य तवो अणु०.... ॥५२७॥णामं १ ठवणा २ ..... ॥१०५७॥ जीवमजीवे भावे ..... ॥१०१९॥ | जो वच्चंतंमि विही.... ॥१३८३॥ णामं ठवणा दविए ...... ॥१२२२॥ जीवमजीवे रूवम०..... भा.१९६॥ | जो समो सव्वभूएसु, .... ॥७९८॥णामं ठवणा दविए ..... ॥१२३५॥ जीवाणऽयंतभागो ..... ॥९०१॥ जो सव्वकम्मकुसलो.... ॥९२९॥| णामं ठवणा दविए ..... ॥१२३६॥ जीवे कम्मे तज्जीव .... ॥५९६॥ णामं ठवणा दविए ...... ॥१२३७॥ जीवो अणाइनिहणो ..... ॥१११६॥ | जो हुज्ज उ अस०.... ॥१३६८॥ णामं ठवणा दविए ...... ॥१२३८॥ जीवो उ पडिक्कमओ..... ॥१२३३॥ | जो हुज्ज उ अस..... ॥१५२२॥ णामं ठवणा दविए ..... ॥१२४०॥ जीवो गुणपडिवन्नो ..... ॥७९२॥ | जो होइ निसिद्ध०..... भा.१२१॥णामं ठवणा दविए.... ॥१३२॥ जीवो. पमायबहुलो .... ॥८०२॥ [झ] णामं ठवणादविए...... ॥१२२०॥ जीवोवलंभ८ सुय०.... ॥२१०॥ झाइज्जा निरवज्ज.... ॥ध्या. ४६।। णामकरो १ ठवण०...... ॥१०७०॥ जंजणकरणं तिविहं..... ॥१०२५॥| झाणप्पडिवत्ति०...... ॥ध्या. ४४॥णावि अपारिव्वज्जं..... ॥४२८॥ जुगवंपि समुप्पन्नं ..... ॥११५५॥ | झाणस्स भावणाओ.... ॥ध्या. २८॥ | णावि ताव जणो.... भा.३१॥ जुज्जइ अकाल....... ॥१५३८॥ | झाणोवरमेऽवि मुणी..... ॥ध्या. ६५॥| णिक्खेवो कारणंमी.... ॥७३७॥ जे जत्थ जया ...... ॥११७५॥ [ठ] णिज्जुत्ता ते अत्था.... ॥८॥ जे जत्थ जया जइया ....॥११९०॥ ठाणं पमज्जिऊणं... ॥७०४॥ णिद्दाए भावओऽवि ..... ॥८१६॥ जे जत्थ जया जइया..... ॥११९१॥ ठाणासइ बिंदूसु अ...... ॥१३९३॥ णिहाविगहापरिव०.... ॥७०७॥ जे ते देवेहि कया .... ॥५५७॥ णिप्फेडियाणि .... [ड] ॥८७०॥ जे बंभचेरभट्ठा ...... ॥१११०॥ णियमा मणुयगतीए.... ॥७४४॥ जे सुत्तगुणा वुत्ता ...... पा. १६॥ | डक्को जेण मणुसा..... ॥१२६२॥ णिव्वेढणमुव्वट्टे .... ॥८०६॥ जेट्ठा कित्तिय साई..... ॥४६॥| डक्को जेण मणूसो .... ॥१२५५॥ णीई हक्काराई १४.... भा. १६॥ जेट्ठा सुदंसण जमा०.. भा.१२६॥| डक्को जेण मणूसो ..... ॥१२५७॥ णीसवमाणो जीवो ..... ॥८२८॥ जेणुद्धरिया विज्जा.... ॥७६९॥| डहरगगाममए वा..... भा.२२६॥ णेगमसंगहववहार०.... ॥७५४॥ जेणुवगहिओं वच्चइ .....॥१४३६॥ [ण] णेगेहिमाणेहि मिणइत्ती....॥७५५॥ जोइसिय भवण..... भा.११७॥ | ण सेणिओ आसि..... ॥११५९॥ णेरइअदेवमणुआ.... भा.२००॥ जो इंदकेउं सम०..... भा.२१३॥ | णइखेडजणव उल्लुग... भा.१३४॥ णेरइयदेवतित्थंकरा य..... ॥६६॥ जो कन्नाइ धणेण य.... ॥७६८॥| णत्थि णएहि विहूणं.... ॥७६१॥ णोआहारंभी जा सा..... पा.७७॥ जो कोंचगावराहे ..... ॥८६९॥ णत्थि य सि कोइ ..... ॥८६८॥ णोएगिदिएहिं जा सा ... पा.५॥ जो खलु तीसइव०... भा. २३७॥ णयरं च सिंब०...... ॥१३१८॥ णोतसपाणेहिं जा ...... पा.७१॥ जो गुज्झएहिं बालो..... ॥७६५॥ णयरं सुदंसणपुरं ..... ॥१२९९॥ णोमणुएहिं जा सा ...... पा.६९॥ जो चूयरु क्खं ..... भा.२१५॥ णव धणुसया य.... जो जहियं सो तत्तो..... ॥पा.५८॥ णवमो अ महापउमो.... ॥३७५॥ [त] जो जाहे आवन्नो ..... ॥१२४६॥णवमो अ महापउमो..... भा.३९॥ तं केसु कीरई ...... भा. १७६॥ : जो णवि वट्टइ रागे..... ॥८०३॥ णाणं पयासगं.... ॥१०३॥ तं च कहं .... ॥४५५॥ जो तिहिं पएहि ... ॥८७२॥ | णाणायट्ठा दिक्खा ..... पा. २२॥ | तं च कहं वेइज्जइ ?.... ॥१८३॥ जो निच्चसिद्धजत्तो ..... ॥९३६॥ | णाणे जोगुवओगे.... ॥८०५॥ तं च कहं वेइज्जइ ?.... ॥७४३॥ जो पुण करणे जडो .... पा.३०।। णाणे णिच्चब्भासो..... ॥ध्या. ३१॥ तं च सि वालग्गाही ..... ॥१२५९॥
SR No.005759
Book TitleAvashyak Niryukti Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAryarakshitvijay
PublisherVijay Premsuri Sanskrit Pathshala
Publication Year2010
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_aavashyak
File Size8 MB
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