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________________ (२६) बारमो ठराव. संधर्मीने आश्रय. मरणांते पण याचना नहि करनार श्रावक श्राविकाओ बाळबच्चा साथे कोह स्थळे सीजाय नहि अने दीनहीन हालतमां धर्मातर थतां अटके ते माटे मोटा पाया उपर फंड थवानी अने तेमने केवा प्रकारे आश्रय आपवाथी वधारे सारं परिणाम आवे तेनो विचार करवानी आ कॉन्फरन्स आवश्यकता स्वीकारे छे. तेरमो ठराव. जीव दया. " आहंसा परमो धर्मः " ए सिद्धांतनु सर्व लोको पालन करे, निरपराधी जीवोने अभयदान मळे, हिंसा ओछी थाय, अने, घातकीपणुं अटकी जनावरो सुखी थाय तेवी विविध योजनाओ शोधी काढी अमलमां मूकवानो आ कॉन्फरन्स सर्वने आग्रह करे छे. ए बे ठरावो तरफ सर्व सभा जनोए पोतानो हाथ उंचो करी संमति दर्शावी पसार कर्यो. २४ मि. दोलतचंद पुरुषोत्तम बरोडिया B. A. जुनागढ हाइस्कुलना __संस्कृत प्रोफेसरे बधं सर्वभक्षी अनद्यतन काळने आधीन प्राचीन शोधखोळ विष छे. माटे आपणी कोमनो अने गूजरात विगेरे देश नो दरखास्त. इतिहास जाळवी राखवा अने तेनापर विशेष अजवाळू पाडवा माटे प्राचीन शिला लेखो, पुस्तको, सिक्काओ, मकानो, ताम्रपत्रो विगैरेनी शोध करी तेमर्नु संरक्षण करवु अने तेनी असल जेवीज नकलो अने भाषांतरो तैयार करावी प्रसिद्धिमा मूकवां जोइए. ते काममां द्रव्यनी खास जरूर छे. श्री शत्रुजय, गिरिनार अने राणकपुर विगरेना लेखो मारी पासे भाषांतर साथे तैयार छे अने श्री आबुजीना शिला लेखो मेळववानी तजवीज जारी छे. तेमां लागता वळग. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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