SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक शिक्षा लाख लाख रुपया देकर खरीद करते थे तो हमभी इतना रुपया खर्च करके यह शिक्षा सीखें तो क्या बड़ी बात है. परन्तु पूर्व कालमें जो लाख लाख रुपया खर्च करके शिक्षा खरीदते थे वह उसके अनुसार चलकर उस लाखकी शिक्षासे कइ लाख पेदा करते थे इसही प्रकार जब तक अपन लोग यहां पर शिक्षा सीखकर उस पर अमल नहीं करेंगे उस वख्त तक सिर्फ तोतावाली कहानीसे काम नहीं चलेगा. इस कथनसे मेरा यह मतलब है कि अपनी योजना या अपने ठराव सिर्फ कागज ही कागजपर नाहीं रहना चाहिये. बल्कि जो जो ठराव अपनी सबकी संमतीसे पास हो उन ठरावो पर अमल करना अपन सबका अव्वल दर्जेका फरज होगा. क्योंकि जिस बातको अपन अच्छी समझकर अंगीकार करने का और बुरी समझकर छोडनेका ठराव करते है उस ठरावके मुवाफिक अमल करनाभी अपना ही फरज है. जब अपन अपने विचारे हुवे कामपर दृढ रहेंगे तो वह काम तुरत पार पडेगा. और अपने अच्छे कामको देखकर अगर शुरुमें कोई विना समझे उस अमल के विरुद्ध होंगे तो अपना अमल अच्छा होनेसे वह तुरत अपने तरफदार हो जावेंगे. इस लिये जो जो ठराव कॉन्फरन्समें हो उनको अपन खुद्दको अमल में लाना चाहिये. और अपने अनुयायियोंकोभी उनपर अमल कराना चाहिये. २१ इन विषयोके चर्चनेके सिवा औरभी बहुत विषय योग्य चर्चनेके है. परन्तु थोडा थोडा मीठा होता है. इस लिये अब ज्यादा कहने की जरुरत नही. २२ अब आपसाहेबोको मुनासिब है कि पृथक् पृथक् जिल्होंसे जो प्रतिनिधि यहां पधारे है उनमें से मुखिया मुखियाओंको चुनकर एक सबजेक्ट कमीटी नीमे जो अपनी इस कॉन्फरन्समें चर्चने लायक विषयोंका निर्णय करे और उसके मुवाफिक अपना काम शुरु किया जावे. २३ आप साहेबो तकलीफ उठाकर इतनी दूर पधारे है और जैन धर्म तथा जैन समुदायकी हालतकी बहेतरी चाहाकर इस महासभामें सामील हुवे है इस लिये में आप लोकोंकु अंतःकरणसे धन्यवाद देता हूं और मैंने कुछ अप्रिय वचन कहा होवे उसके लिये आप साहेबोपास क्षमा चाहाता हूं. और परमात्मासे प्रार्थना करता हूं कि यह महामंडल दिन दिन उन्नतिके साथ बडता रहे तथा श्रीजिनशासन जयवन्ता हो ! ओ३म्. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005585
Book TitleTriji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Chunilal Vaidya
PublisherReception Committee
Publication Year1906
Total Pages266
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy