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________________ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org सरावावादितिरनरेोषपाते. भूमय सेवनाच्य पुरागमणमाज्जस साल तिर निरनिर रसुवा-नामसमयसीमा विबेधियाना बोसामि सुनार भाऊ चारतिय से से तिचिंता जोइनियप्राणी सभा समन कसाब के १६ भार मिया या दमण आ सहभागिता सबजेलम याजी या सम्य मिरिव सु-पृथ्वी आऊपणा आपण जे निधनिकम्माणमाणे वारस दुपा पुराण-विधान एनानिम "ज्ये NUMERON उपयले उनी जानेवा ससुर निरए निरि रमण उपाध रेहाति-राजना धाराज स्वणुओग इयू आर सयओ ASTOUT CON ठाणे सुरूवातमणु जति 10 हिमुरस, विभाजी-भयण-निश्य नारनपुराए यात्र माणुस -विश्य सुनि स्थाय धिय, सहिया अरियाण यस संगनिय निर डिजिट समुणीतर सारेणलिहीया ए या योगच्छाचार्य ममणभाग ट्रेडक गायब कावास साधे सुराय चार नितरिय छन् विगलिरने न पण य चणकाअ साय सुराग गुआममा स्पातिसाम सरलाई २५० मन्त्रि नरम संस्थामा चसी से मिरान्तिवपाठक प्राध्यायश्रीभ सागर सारा सपन प्रवेशस्य रत्न प्रयत पदिय असुराण मुनि श्री यशोविजय नका आधा जमण दिनमा Jarvist प्रया पनिर जयजारस आरंति, सुरक विधावरे याग भारसा अभावसामि सु कालिमी सन्ना, पिठेवा सभ्ये. "कम्यु आयसिआरमि रामदेवे सायण Panel Durg br. Harengu पण या सरत्याग तिरसट स भारता Kersts मध्यभ सभार वितर यजीय महमा से साधा कालाभर सुरने ३३० अगला (एक चम सिम वसामय बडगे सेवाभीम नरमुणेयं विमान द उपराधारान समते श्री. हातच साथिदार सुगम समायो कसाथ उधाया. भिणे ४२५५ भाग pellat ययः स Phy लेखनसीquen Nuapaa व्य-ममंति ardes यच चक्र Arbet 53. विमति अम विजयजी विजयज्यमान मिस्नाखंडम श्रपसादात तमि CAR लेखक मुनियो विजय
SR No.005475
Book TitleSangrahaniratnam Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year2003
Total Pages1042
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size34 MB
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