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________________ रंग जंग करी अति घणा, परणी में सुविचारो रे ॥ जे॥ए॥ तेहनो तें विरहो कीयो, सुखमें कीयोअंतरायो रे ॥ जीवंतां नवि विसरे, श्म बोले महारायो रे ॥ जे० ॥ १० ॥ खड्ग काढी जव धाल, मंत्रीश्वर मन चिंते रे ॥ सुहणां किम साचां हुवे, राय पड्यो किसी ब्रांते रे ॥ जे ॥ ११॥ जूहारी साचो चवे, उगे पश्चिम जाणो रे ॥ समुष किमे पूरो हुवे, आपणो न होय राजानो रे ॥ जे॥१२॥ मनकेसरी मुहतो नणे, विण अपराध कांश मारो रे ॥ बीजी ढाल पूरी हुश्, आगल जेह प्रकारो रे ॥ जे० ॥ १३ ॥ सर्व गाथा ॥३७॥ ॥दोहा॥ ॥ मंत्री कहे राजा सुणो, कीजे काम विमास॥पडे न पस्तावो हुवे, जीव हुवे न उदास ॥१॥ सुपन मांहि परणी जीके, हंसावलि जसु नाम ॥ परतख ते परणावीशुं, सारशुं वंडित काम ॥२॥ण वचने सुसतो हठ, खग धयु निज गम ॥ ससतो शीतल जाणीयो, मंत्री करे प्रणाम ॥३॥ अवधि दीयो एक मासनी, जोवरा सा नार ॥ राय कहे बिहुँ मासनी, तां लगे करो विचार॥४॥मंत्रीश्वर तुं मुज Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005393
Book TitleHansraj Vacchraj no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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