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________________ (१७) वन वामी घणां, लखीयां तरु वर आंब ॥ ल॥ समुह सरोवर वावमी, मांड्यां नगर ने गाम ॥ लण ॥॥नाखर लखीया नातशं, लखीयां तेतर मोर ॥ल॥लखीयां सारस सूअमा, लखीयां चं चकोर ॥ल॥ए॥ सरप सावज मांड्या घणा, सांवर रोज शीयाल॥लागौ गज वृषन सुदामणा, वानर देता फाल ॥ ल ॥ १० ॥ मनकेसरी मुहते कीयो, फल्यो फूल्यो सहकार॥ल॥मालो पण मांड्यो तिहां,जोजो कर्म प्रकार ॥ ल० ॥ ११ ॥ सर्व गाथा ॥ १४१ ॥ ॥दोहा॥ ॥बे बचमां उपर धयां, मात पिता बे पास ॥ दावानल लागो दहन, सघलो कीयो प्रकाश ॥१॥ पाणी लेवा पंखीयो, पहोतो सरवर ठाम ॥ नारी बचमां सहु बल्यां, पाडो आव्यो ताम॥२॥देखीने मुःख उपy, ऊपाणो तत्काल ॥ मोहवशे मांहे पड्यो, काल कीयो तत्काल ॥३॥णविध चित्रज चितस्यो, पहोतो कुमरी पास ॥ मात मदेल पूरो हुवो, दीधी तसु साबाश ॥४॥चित्रहारने चोंपशु, दीधो बहुत पसाय ॥ धन लेश्ने आवीयो, नरवर प्रणमे पाय ॥५॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005393
Book TitleHansraj Vacchraj no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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