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________________ (ए) चणे ॥३॥ प्राखसरिसो विमल प्रधान, पुर्जन जन ते लिंब समान; काग सरीखो राजा थयो' दोष विहुणो दोषी कह्यो ॥ ३३ ॥ ॥हा॥ ___मंत्रि जणे नुपति सुणो, जव प्रह विमल प्रधान; आवे तव नोजन नणी; देज्यो बहु बहुमान ॥ १ ॥ वाघ मेलावे मोकलो, त्रास होसि ततकाल; विमल हकारे वीर सुत, सत्ता मध्य नूपाल ॥२॥ विमल विकार्यों नहि खमे, तेज तणे ते पूर; सिंगि सांकल उतरे, कुःख टले जिम दूर ॥३॥ गोले मरे जे मानवी, ते विष दीजे कीम; काज सरे कलकल टले, सांजल राजा नीम ॥ ४ ॥राय राणा मंगलीक नर, सना जमि सुविशाल, श्राव्यो विमल विकट कटक, मान दीये जुपाल ॥५॥ बेगे चाउर चंप कर, जूगे जमर्नु रूप; सखश्न सके कोइ नर, मन थाकंप्यो जूप ॥ ६ ॥ वाघ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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