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________________ (३४) घर जणी ॥ २३ ॥ मोटां मांदलीयां वांकमी, पाय तणे माने मोजडी; अलजश्यां आएयां थांगलां, काने कनक तणा वेढला ॥ २४ ॥ पाये घूघरमी घमघमे, बालुअडो ते अंगण रमे; साहमुं जोई करती काम, माडी दै धरावे हाम ॥ २५॥ ज वलगे आलिंगन अडे, प्रेमे पूरो पानो चमे; धसट करी धवारे माय, पालणडे पुहढामी जाय ॥ २६ ॥ करे काम हालरमां गाय, माता हश्मे हरख न माय; पोढो थातो पगलां नरे, पंच वरस जब वुले परे ॥२७॥ मात तात तव करे विचार, बेटो आव्यो कुल सिणगार; कांई उडव कीजे नवो, सुतज निशाले पाठवो ॥ २७ ॥ मूर्ख पुत्र न आवे काज, मूरख कोई न आवे राज; हंस मांहे बग बेगे जिशो, पंडित पासे मूरख तिशो ॥ श्ए ॥ मेस्या साजन केरा थाट, मोदक करीने नरीयां माट; साल दाल प्रीसे घृत घोल, पांते बेग करे कबोल ॥ ३० ॥ चुश्रा चंदन फोफल पान, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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