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________________ • . ( ११३) सजोमा ज़मर जोरिंग, सारिंगा नव हत्थ नारिंग; जुंगी ऊंबाणा उंदिरा, वाहणीया खुरसाणि खरा ॥ ३४ ॥ कोहाणा मोटा महअमा, महलावी श्रा मुगल मांकमा; ऊघसीआ नीघसीथा घोर, जाटकीआ कोटकीया मोर ॥ ३५ ॥ पाणीपंथा पंचकल्याण, पवनवेग पोढा केकाण; पारकरा बड़ेरा जेथ, जाति शुरू नवि थाके तेथ ॥३६॥ कपिल किसोरा घोडाजात, अ अनेक नलेरी नात; ते सघला सोडे आणीश्रा, जग जोडे जडता जाणीश्रा ॥ ३७ ॥ हंस धवल अने हांसला, नाचे मार्च महिथल जला; पुहले पंथे सविडं पहिलीआ, वेग वडा वारो वहिलीया ॥ ३० ॥ पुंठे पुहला पग नीसला, वंक मुहाने खंधा गला; एक वर्ण ने टुंका कर्ण, उपर थारोप्यां बाजर्ण ॥ ३ ॥ पडीया पाखर ने पहलाण, चडीया रण सागर जधाण; उर बंध गादी पटाट, बांधी जेर बंध नीसाट ॥४०॥ मुडी चंग चमर चोकडां, मखीआरडी अने मुहरडां; रुप खाप सरिखां जलकतों, बिहुँ . . . -- - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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