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________________ ( 202 ) धरी जव धाईयो, तव साहीयो रे ईशो काबरो कान तो; विमले कर्यो करि मांकडो, लीयो सांकडो रे देव बिका ध्यान तो ॥ वेढ० ॥ १७ ॥ जय जयकार शब्द हूआ, वली घर घर रे हू मंगल चार तो; वाघलो राय यागल धस्यो, अरे विमले करियो जुर्ज पर उपगार तो ॥ वेढ० ||१८| विमल गयो घर आपणे, अरे राज जो मंत्रिन सीध्यं काज तो; राज रखे लिये वाणीर्ड, एतो प्राणी दुष्ट में जाणीयो याज तो ॥ वेढ० ॥ १९ मंत्रि जणे ज्यां बुं ह्मे, तुम्हे चित उचाट म आसो आज तो; माल करो बल पारखुं, एतो सारखे सारिखुं टालसे साल तो ॥ वेढ० ॥ २० ॥ माल स्यो मंत्री विचारीयो, जलो जारीयो जांगडा घाए जीम तो; विमल इऐ करि ताहरे, एतो मादरे मागजे सबल हुई सीम तो ॥ वेढ० ॥२१ ॥ दूदा ॥ प्रह उगम वली प्रगटियो, वढेलो, विमल प्रधान; राजन राज सजा लढे, वली विशेषे मान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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