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________________ યક્ષરાજશ્રી માણિભદ્રદેવ फलपूजा दोहा Jain Education International फल पूजा करूं भावसु, फलसे फल निरधार । माणिभद्र मुझ मन वस्या, अर्पण फल उपहार ॥ ढाल सातम राग - सांभलजो मुनि संयम रागी ॥ कलियुग में चिंतामणि सरीखो, माणिभद्र जसवंतोजी । मालव देश वरदान देवतो, दुष्काल नहीं रे पडतोजी ॥ कलि० (२) तपगच्छ स्वामी देव प्रतापी, नगर उज्जैन विहारीजी । नरनारी मिल मंगल गावे, निर्धनिया आधारोजी ॥ कलि०. (३) मगरवाडे तीरथ स्थाप्यो, प्रत्यक्ष परचो दीधोजी । देश विदेशी यात्री आवे, निज कारज सब सिद्धोजी ॥ कलि० (४) तीन भुवन के तेजस्वी राजा, महियल मेरु समानाजी । भेरी - भुंगल - सरणाई वाजे, वाजिंत्र अपरंपाराजी ॥ कलि० (५) सुखडी चढे फल पूजा पूजी, मनवांछित फल पावेजी । कामकुंभ चिंतामणि सरीखो, चित्रावेल आलेखेजी ॥ कलि० (६) दादागुरु दर्शन कर पायो, नित्योदय गुणवंताजी । चंद्राननसूरि प्रत्यक्ष कीनो, अर्धरात्री अभिरामोजी ॥ कलि० मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं श्री माणिभद्राय हस्तिवाहनाय, षष्ट मुजाय अजमुखाय, सर्व आनंद कराय, रिद्धि वृद्धि राय तपागच्छ अधिष्ठायक देवाय फलानि समर्पयामि स्वाहा । ( फल चढाना) 543 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005141
Book TitleYakshraj Shree Manibhadradev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year1997
Total Pages860
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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