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________________ યક્ષરાજશ્રી માણિભદ્રદેવ Jain Education International श्री माणिभद्रजीनां भक्तिगीतो प.पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय जगवल्लभसूरीश्वरजी म. सा. श्री माणिभद्र यक्षराजनुं भक्तिगीत ( राग : हे त्रिशलाना जाया.........) माणिभद्र मनोहारी, सुर समुदाय मजारी, माणिभद्रनुं पूजन करतां, समकित तेज अपारी..... माणिभद्र० सूरि-उवज्झाय ने साधु सघळा, समकिती नरनारी, जिनशासन आराधक सौना, सकल समीहितकारी; चऊविह संघ प्रभु वीर केरो, तास उपद्रव हारी... माणिभद्र ॥ १ ॥ यक्षनिकाय शूरा शुभकारी, इंद्र तमे उपकारी; राजेश्वर दिलधारी; वीश सहस सामानिक सुरना, चोसठ जोगणी बावन वीरना, अग्रेसर अधिकारी...... माणिभद्र ॥२॥ श्रद्धा धरी जिनभक्ति करीने, जे करता तुज यारी; जप-पूजा ने ध्यान स्तोत्रथी, तुज सेवन हितकारी; पलक मात्रमा वांछित देती, तुज श्रद्धा भवहारी..... माणिभद्र ||३|| जे वछे ते संपद पामे, तुज योगे नरनारी; आपद टाळी, समकितकारी, रक्षक क्षेमंकारी; भव अटवीमां साथ तमारो, हो अहोनिश गुणकारी...... माणिभद्र ॥ ४ ॥ शुभ गुरुयोगे, पुण्यप्रयोगे, प्रभु प्रतिष्ठाकारी; महोत्सवमांही विघ्नरहितता, मांगे तुज पूजारी; खमजो अम अपराध संघने, सहाय करो सुखकारी...... माणिभद्र ॥ ५ ॥ श्री माणिभद्र यक्षराजनी आरती ( राग : हे शंखेश्वर स्वामी, प्रभु जग अंतरयामी) जय जय निधि.... हे जय माणिक देवा, जय माणिक देवा... हरिहर ब्रह्म पुरंदर (२), करता तुज सेवा... हे जय ॥ १ ॥ तुं विराधिवीर हे देवा, तुं वांछितदाता.... देवा.... तुं वांछितदाता; मातपिता सहोदर तु... (२), स्वामी जगत्राता... हे जय || २ || For Private & Personal Use Only 373 www.jainelibrary.org
SR No.005141
Book TitleYakshraj Shree Manibhadradev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year1997
Total Pages860
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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