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________________ उपसंहार ६४७ परिचित हतो तेम सर्वधर्मसमभावी हतो, ए तो एनी वीशीओ ऊपरथी स्पष्टपणे जणाय छे. २१७ सत्तरमी सदीनी गद्य कादंबरीनो तथा अमरेलीना शिलालेखनो नमूनो आपी पछी विष्णुदासना महाभारतनो तथा नाकरकृत आरण्यकपर्वनो ऊतारो आपेलो छे. अने ए सैकानी भाषानो स्पष्ट ख्याल आवे ते माटे पूरतां निदर्शनो जणावेलां छे. २१८ आ पछी छेवटे अढारमा शतकनी चार कृतिओना नमूना ऊतार्या छे. तेमां प्रथम लक्ष्मीरत्न (जैन) कृत खेमाहडालियानो रास छे, बीजी कृति कवि रत्नेश्वरकृत भागवतनी छे अने त्रीजी आपणा सुप्रसिद्ध कवि प्रेमानंदनी कृति नळकथा छे. छेक छेल्ले न्यायविशारद-न्यायाचार्य महोपाध्याय श्रीयशोविजयजीनी कृतिनो नमूनो पण आपी दीघो छे. ए अढारमा शतकनी गुजराती विशे कशुं लखवापणुं छे नहीं. एथी तेना नाम अने क्रियापदोना प्रयोगोनुं मात्र निदर्शन कराव्युं छे. जे गुजराती आपणे बोलिए छिए ते अने अढारमा शतकनी गुजराती बन्ने एक जेवी छे एम कहीए तो खोटुं नथी. जरा तरा उच्चारण फेर सिवाय बीजो कशो भेद नथी अने एम छे माटे ज ए गुजराती विशे कशें लख्यु नथी, आ रीते में करेली प्रतिज्ञाप्रमाणे अने मारी समझप्रमाणे में आपनी सामे बारमा शतकथी मांडीने अढारमा शतक सुधीनी गुजराती भाषानो परिचय आप्यो छे अने तेम करी “गुजराती भाषानी उत्क्रांति" ना विषयने में बनी शके तेटलो न्याय आपवा प्रयत्न कर्यो छे. वळी, जैन, जैन नहीं तेवा ब्राह्मण, वैश्य, मुसलमान अने पारसी एवा अनेक कविओनी-पंडितोनी कृतिओना नमूना अहीं आपेला छे अने तेमनी दरेकनी कृतिना शब्दो वगैरे आपी वाचकोने ते ते कृतिओनी भाषानो पूरो परिचय मळे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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