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________________ ६३० गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति धेय देखाडइ छई[पहिलइ बि पदे मंगलाचरण देषाड्यु-नमस्कार कर्या ते १, आत्मार्थी इहां अधिकारी २, तेहनइं अवबोध थास्यइउपकाररूप प्रयोजन ३. द्रव्यनो अनुयोग ते इहां अधिकार श्री गुरु जीतविजय मनि धरी __ श्री नयविजय सुगुरु आदरी । आतम--अरथीनई उपकार करं द्रव्यअनुयोग विचार ॥ १ ॥ गद्य श्रीजीतविजय पंडित अनइं श्रीनयविजय पंडित ए बेहु गुरुनई चित्तमांहिं संभारीनई आतमार्थी ज्ञानरुचि जीवना उपकारनई हेतइं, द्रव्यानुयोग विचार करुं छं. अनुयोग कहिइं सूत्रार्थ व्याख्यान. तेहना ४ मेद शास्त्रई कहिया--- १ चरणकरणानुयोग-आचार वचन-आचाराङ्ग-प्रमुख २ गणितानुयोग-संख्याशास्त्र-चन्द्रप्रज्ञप्ति-प्रमुख ३ धर्मकथानुयोग-आख्यायिकावचन--ज्ञाता–प्रमुख ४ द्रव्यानुयोग-षद्रव्यविचार-सूत्रमध्ये सूत्रकृतांग, प्रकरणमध्ये सन्मति, तत्त्वार्थप्रमुख महाशास्त्र. ते माटि ए प्रबन्ध कीजई छइ. तिहां पण द्रव्य-गुणपर्यायविचार छइ, तेणई ए द्रव्यानुयोग जाणवो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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