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________________ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति गाम सीम ए रूखडां मोहनगारां हुंत । वानर परे चढता जिहां आपण बेउ रमंत ॥ १ ॥ तेह ए सरवर तेह जल तेह ज तीर मनोहार । कंठे आरोप्यां जिहां ताल नलीनना हार ॥२॥ सोहे एह ज वालुका उज्वल जेसी कपूर । बाललीलाए आपणे कर्या जिहां घर भूरि ॥३॥ वात लगावी इम अनुज भवदत्त भेटे ग्राम । जे आचारजपदकमल पवित्र कियो अभिराम ॥ ४॥ (पृ० ६) हवे निज कर जोडी कहे नभसेना शुचि बोल । रहो पाम्ये संतोष करी मन धरी अचल अडोल ॥१॥ परिणत वये व्रत आदरो हमणां गृही व्रत लाग । कीम अणपहेर्यो पहेरणे सोहे अभिनव पाग ॥२॥ चक्रवर्ति भोजन तणी इच्छा कर्ये शुं होय । घर संपत्ति सरखे सुखे वर्ते दुःखी न सोय ॥ ३॥ जिम थवीरा अतिलोभथी आपही आप विणट्ठ । तिम अति इच्छा मत करो सुणो संबंध ते इट्ट ॥ ४ ॥ (पृ० ५७) मीठं लागे तेल तस घृत नवि दीर्छ जेण । भवसुख तेम राचे म को शिवसुख संभरे तेण ॥ ७ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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