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________________ नाम वनि योगी पर्यंकि क्रि० मरि तजी पिठु भइसकेडि (भेंशनी पाछळ ) धोतीआं पाधरूं पाडी ऊंधूं पाम्यु मूकइ सोळमो अने सत्तरमो सैको | आंखि सोले वाले नाम गदी आणु हैआ काछ स्वांन नीसरा गर्या |लोपी क्रि० सोळमा सैकानी भाषामीमांसा खरचइ Jain Education International | देखइ नाम ऊंट माथइ ढेदनई उवटि | हांणि जइन | पेटि क्रि० आर्यु भयु त्यजू घडइ फलइ नाम दाखवइ शीखवइ विणसइ १८७ सोळमी सदीनी उक्त पांचे कृतिओनो उपयोगपूर्वक अभ्यास करतां तेमां बे जातनां लक्षणो नजरे पडे छे. केटलांक प्राचीनतानां अने केटलांक नवीनतानां नाम के क्रियापदने छेडे आवता अइ, अई, अउ, अउं वगेरे एमना एम रहेला छे, ए प्राचीनतानी छाप छे. जेमके - अछइ, कहिसइ, सेवऊ, बोलइ, वहइ, भाइ, निवर्तइ, प्रणमीजइ, बुझइ वगैरे. केटलाक प्रयोगोमा एज कृतिओमां नामने छेडे आवता 'अइ' वगेरे ' ' इं' के 'उं' रूप थई नामना अंत्य व्यंजनमां मळी गया छे. अथवा " अइ' वगेरेनो 'ए, ''ओ' रूप गुण थयो छे. अने ते 'ए' के 'ओ' नामना अंत्य व्यंजनमां मळीने रहेला छे, ए छाप नवीनतानी छे. आवां For Private & Personal Use Only तरक कूचा सूनत मनतणा ऊचनीच पोगर - ( पाणी ) क्रि० | देखाड ५४७ पुष्कर www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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