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________________ ४५० गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति प्रसंगे वेदो, रामायण, महाभारत, नलचरित, सुदवच्छकथा वगैरे हिंदुकथाओने आदरपूर्वक याद करे छे, ए प्रस्तुत कृतिनी बीजी विशेषता छे. १५३ वर्तमान समयना बन्ने परम्पराना बंधुओने, तेमां य साहित्यसर्जकोने प्रस्तुत कविद्वारा एकतानी - उदारभावनी अने शुद्ध मानवतानी प्रेरणा मळे ए पण एक उद्देश आ रासकनो नमूनो आपवानो छे. मने लागे छे के भाषानो, इतिहासनो, भूगोळनो, तत्त्वज्ञाननो के एवा बीजा कोई पण विषयनो विचार, उदार भावनो के उच्च मानवतानो पोषक होवो ज जोईए, एम न होय अने विपरीत परिणाम लावनारो होय तो मारे मन ए विचार, विकाररूप छे एथी ज अहीं सहेज विषयांतर करीने पण मारे आ उदार इस्लामी कविनी कृतिनो नमूनो सादर आपी ते बाबत लखवी पडी छे. अत्यार सुधी मारे विशेषे करीने जैनकृतिओने ज आधारे चलावj पड्युं; पण पन्दरमा सैकाथी जैन अने वैदिक पन्दरमा सैकानी एम बन्ने प्रकारना कविओनी कृतिओ मळवी कृतिओ शरू थाय छे एटले हवे ते बन्ने प्रकारना महानुभाव कविओनी कृतिओनो उपयोग करवानो छु अने तेमां य वैदिक कविओनी कृतिओनो उपयोग वधारे करीश. पन्दरमा सैकानी केटलीक जैन गद्यकृतिओ पण उपलब्ध छे, एटले पधनी साथे गद्यनो पण उपयोग थशे. पद्य करतां गद्य, भाषाना चोक्कस स्वरूपने समझवामां वधारे सहायरूप छे. पद्यमां कवि कविताने बहाने अनियत रूपो पण वापरे छे त्यारे गद्यमां तेम चालतुं नथी. १५४ प्रारंभमां उक्त ' बालशिक्षा' जेवा एक औक्तिक ग्रंथनां अवतरणो जणावीश. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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