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________________ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति कसु-कोना जाइ-जाय जाउ-जाउं भणो-कहो सरणि-शरणे पिक्खइ-पेखे-जुए [ भाई मधुसूदन मोदीनी पासे 'संदेशकरास'ना आरंभना थोडा भागनी नकल हती, आ शब्दो में तेमाथी ऊतारेला छे. भारतीय विद्याभवननी मुद्रित प्रत अने उक्त नकलमां क्याय क्यांय पाठफेर छे.] १५१ उक्त 'संदेशकरास' के 'संनेहयरीसनी पूर्ण पोथी हजु सुधी 'संदेशक रास'नी हुँ मेळवी शक्यो नथी. ए रासनी गाथाओ अपभ्रंश भाषा एटले ऊगती गुजरातीमां लखायेली छे, ए हकीकत रासनी गाथाओ ज कही आपे छे. रासमांनी ऊगती गुजरातीनो ३१६ प्रस्तुत रासने आचार्यश्री जिनविजयजी भारतीय विद्याभवन (मुंबई) द्वारा प्रकाशित करवाना छे. एना बधा फरमा तेमणे मने वांचवा आप्या छे. ए फरमाओमां मूलरास उपरांत तेनी ऊपर, टिप्पण तथा अवचूरिका पण सामेल छे. आखो रास वांच्या पछी ते विशे अहीं जे जणाव्यु छे ते करतां थोडं विशेष निवेदन करवा नुं छे अने ते संक्षेपमां आ प्रमाणे छः कर्ता-रासकारे रासमां पोतानुं नाम 'अद्दहमाण' (“ तह तणओ कुलकमलो + + + अद्दहमाणपसिद्धो"-गा० ४, पृ. ३) जणावेलुं छे. टिप्पणकारे अने अवचूरिकाकारे ते माटे ‘अब्दल रहमान' शब्द वापर्यो छे. (“ अब्दल रहमान नामा"--टि. “ अब्दल रहमानः अभूत् "-अवचू० पृ० ३) कुल-रासकारे पोताना कुल-वंश-माटे 'कोलिय-कौलिक' शब्द वापर्यो छे. भाषामां जे जातने 'कोळी' कहेवामां आवे छे ते जातसूचक 'कोळी' शब्द अने प्रस्तुत 'कोलिय' ए बने आम तो मळता शब्दो छे; परंतु अर्थदृष्टिए ए बन्ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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