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________________ बारमा अने तेरमा सैकानुं पद्य इकारस्यसही पंचासीय वच्छरि । नेमिभुयणु उद्धरिउ साजणि नरसेहरि ॥ १० ॥ मालवमंडल गुहमुहमंडणू । भावडसाहु दालिधुखंड | आमलसार सोवन्न तिणि कारिउ । किरि गयणंगण सूरु अवयारिउ । अवर सिहर वरकलस झलहलइ मणोहर । नेमिभुयणि तिणि दिइ दुह गलइ निरंतर ॥ ११ ॥ (द्वितीय कडव ) दिसि उत्तर कसमीरदेसु नेमिहि उम्माहिय । अजिउ रतन दुइ बंध गरुय संघाहिव आविय ॥ १ ॥ हरसवसिण घण कलस भरिविति न्हवणु करंतह । गलिउ लेवमु नेमिबिंबु जलधार पडतह ॥ २ ॥ संघाहि संघेण सहिउ नियमणि संतविउ | हा हा विगु धिगु मह विमलकुलगंजणु आविउ ॥ ३ ॥ सामिय सामल धीरचरण मह सरणि भवंतरि । इम परिहरि आहार नियम लइउ संघधुरंधरि ॥ ४ ॥ एकवीस उपवास तामु अंबिकदिवि आविय । पभणइ स पसन्न देवि जय जय सदाविय ॥ ५॥ उविणु सिरिनेमिबिंबु तुलिउ तुरंतउ । पच्छलु मन जोएसि वच्छ ! तुं भवणि वलंतउ ॥ ६॥ X Jain Education International X X ३८७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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