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________________ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति (राजा) तुह चंडिण भुअदंडिण निवइ धरमाणिण महिवलओ। जलहिसुआलिंगणपहवसुहु देउ जणदणु कलउ ।। १०३ ॥ (छंद-सुतालिंगन) जइ गंगाजलि धवलि कालइ जउणाजलि जइ खित्तओ। रायहंसि नहु वुड न तुटु सुज्झत्तणु तु वि तेत्तउ ॥ १०७॥ (छंद-राजहंस) सल्लइपल्लवकवलप्पणु रेवानइजलि मजणु । तं कुंजरविलसिउ सुमरइ गयविरहिओ करेणुगणु ॥ १०६ ॥ (छंद-कुंजरविलसित) पलिअ केस चल दसणावलि जर जज्जरइ सरीरबलु । सन्वि वि गलिहि अणंगललिअ किज्जउ धम्मु महंतफलु ॥१०९॥ (छंद-अनंगललिता) गोरी गोहि दरफुरिओहि। कलहंसीगइ कलहे लग्गइ ॥ ११५॥ (छंद-चंपककुसुम) जे निअहिं न परदोस गुणिहिं जि पयडिअ तोस । ते जगि महाणुभावा विरला सरलसहावा ॥ १२४ ॥ (छंद-महानुभावा) कइअहिं होएसइ तं दिवसु आणंदसुहारसपावणउ । होही प्रियमुहससिचंदिमई जहिं नयणचउरह पारणओ ॥१२७॥ (छंद-पारणक) परगुणगहणु सदोसपयासणु महुमहुरक्खरहि अमिअभासणु । उक्यारिण पडिकिओ वेरिअणहं इअ पद्धडी मणोहर सुअणहं ॥१२८ ॥ (छंद-पद्धडी) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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