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________________ ३६६ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति खलिअक्खरउं वयणु मुहु पंडरु तुह अक्खइ सहि ! मणु मयणाउरु ॥६२ ॥ (छंद-मदनातुर) ओ रणझणंत भमइ भमरावलि । मयणधणुह गुणवल्लि णं सामलि ॥६३ ॥ (छंद-भ्रमरावलि) गोरडिअहिं उवमिअइ न पर अञ्चब्भुअ। जइ किर हवइ फुल्लिअफलिअ कुंकुमलय ॥ ६६ ॥ (छंद-कुंकुमलता) (राजा) लंघइ सायर गिरि आरुहइ तुह अहंग । ससिसेहरहसिउज्जल नउक्खी कित्तिगंग ॥६७॥ (छंद-शशिशेखर) जं सहि ! कोइल कल पुक्कारइ फुलु तिलओ। तं पत्तु वसंतु मासु कामहु लीलालओ॥६८॥ (छंद-लीलालय) (राजा) रेहइ तुह करि चंदहासओ ! नं रिउसिरीए केसपासओ॥६९ ॥ (छंद-चंद्रहास) जसु लोहचक्किण वि न दलिओ झाणु । तर्हि वीरि किं करउ स कुसुमबाणु ।। ७१ ॥ (छंद-कुसुमबाण) मालइकुसुमु न लेइ चंदणु चयइ । तुह दसणउम्माही मग्गु जि निअइ ॥७२॥ (छंद-मालतीकुसुम) मलयानिलु मलयजरसु ससहरु कुसुमत्थरणु । विरहानलजलिअहि तसु सवु वि तणुसंतवणु ॥ ७७॥ (छंद-कुसुमास्तरण) निसुणिअ माइंदइ महुअरिसंलावु । ओ पवसिअतरुणि ! तिं पत्थुअओ पलावु ॥ ७८ ॥ (छंद-मधुकरिसंलाप) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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