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________________ ३६४ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति कद्दमभग्गा मग्गुलया बहुपिहुला दुत्तरजलुल्या । तिम्व भरु बहसु गुणधवलया ! जिम्व केम्वइ न हति पिसुणया ॥ ॥ १५ ॥ ( छंद-गुणधवल) (राजा) कित्ति तहारी वण्णविणु कइ अन्नु न वण्णहिं । मालइ माणिवि किं भमर धत्तुरइ लगहिं ॥ १६॥ (छंद-भ्रमरधवल ) (राजा) पहु ! तुह वेरि अरण्णि गय, निच्चु वि निवसहिं जिम्व ससय । घणकंटयदुसंचरणि, तहिं झुंबड करीरवणि ॥ १९ ॥ ( छंद-बटक ) पई विणु तहिं सुहय ! विलासु कवणु । विणुं चंदई मुहु जामिणिहिं कवणु ॥ ७ ॥ ( छंद - सुभगविलास ) सहि ! वहुलओ चंदुलओ पडिहाइ । रयणिवहूए कीलणगंडुओ नाइ ॥ १७ ॥ मन्नावि प्रिओ जइ वि कयदुन्नओ । (छंद - क्रीडनक ) जं महमहइ दुसहर बउलामोअउ || १८ || ( छंद - बकुलामोद) देक्खिवि वेलडी मलयमारुअधूआ । सुमरिवि गोरडी पंथिअसत्य मुआ || २३ || (छंद्र - मलयमारुत ) प्रियमहु संगमि ओअ मंगलिअई करई । किंसुअरूविण वणसिरि घट्ट धरइ || २५ || ( छंद - मांगलिका ) तारावलि भणि मा, भणि मुत्ताहलमाली । रइकलहिण त्रुट्टी ससि– रयणिहुं सुविसालि || ३२ ॥ Jain Education International ( छंद - मुक्ताफलमाला ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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