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________________ ३६२ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति गंग गमेष्पिणु जो मुअइ जो सिवतित्थ गमेपि । कीलदि तिदसावास गउ सो जमलोउ जिणेपि ॥ ७८ ॥ वलयावलिनिवडणभएण धण उद्धब्भुअ जाइ । वलहविरहमहादहहो थाह गवेसइ नाइ ॥ ७९ ॥ पेक्खेविणु मुहु जिणवरहो दीहर - नयण सलोणु । नावइ गुरुमच्छरभरिउ जलणि पविसइ लोणु ॥ ८० ॥ चंपयकुसुमहो मज्झि सहि ! भसलु पइइउ । सोहइ इन्दनीलु जणि कणइ बइट्ठउ || ८१ ।। पाइ विलग्गी अंडी सिरु ल्हसिउं खंधस्सु । तो वि कटारइ हत्थडउ बलि किज्जउं कंतस्सु ॥ ८२ ॥ सिरि चडिआ खंति प्फलई पुणु डालई मोडति । तो वि महद्दुम सउणाहं अवराहिउ न करंति ॥ ८३ ॥ हैम - छन्दोनुशासन - ( पृ० ३५ थी ४६) सायरु रयणायरु बोल्लहिं जं बुहसत्थ, तं सच्चु जि जाय निसायरकुच्छुह जत्थ । जह एक हूओ सिरिकंठसिरे अवयंसु, अवरु सिरिनाहउरि भूसणु उल्लसिअंसु ॥ ४ ॥ ( छंद - अवतंसक ) रेहहि अरुणकंति धरणीअलि इंदगोवया, पाउससिरि नाइ पय जावयबिंदु लग्गया । एह वि विज्जुलेह झलकंति अ बहलकंतिआ, लक्खिज्जइ जायरूवनिम्मविअ व्व कंठिआ ॥ ७ ॥ ( छंद - इन्द्रगोप ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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