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________________ बारमा अने तेरमा सैकानुं पद्य कासु न किय निष्फल लल्लि अम्हेहि दुहत्तिहि तह वि न पत्तउ ताणु किं पि पर पहु ! परिचतिहि ॥ १९ ॥ तुहु सामिउ तुहु माय बप्पु तुहु मित्त पियंकरु तुहुँ गइ तुहु मइ तुहु जि ताणु तुहु गुरु खेमंकरु । हउँ दुहभरभारिउ वराउ राउ निब्भग्गह लीउ तुह कमकमलसरणु जिण पालहि चंगह ॥ २० ॥ पइ कि विकय नीरोय लोय कि वि पावियसुहसय किवि ममंत महंत के वि कि वि साहियसिवपय । किवि गंजियरिउवग्ग के वि जसधवलियभूयल मइ अवहीरहि केण पास ! सरणागयवच्छल ! ॥ २१ ॥ हउँ बहुविहदुहतत्तगत्तु तुह दुहनासणपरु हउँ सुयाह करुणिक्कठाणु तुह निरु करुणारु | हउँ जिण ! पास ! असामिसालु तुहु तिहुअणसामिय जं अवहीरहि मइ झंखंत इय पास ! न सोहिय ॥ २३ ॥ जुग्गाऽजुग्गविभाग नाह न हु जोयहि तुह सम भुवणुवयार सहावभाव करुणारससत्तम । सम-विसमई किं घणु नियइ भुविदाह समंतउ इय दुहिबंधव ! पासनाह ! मइ पाल धुणंतउ ॥ २४ ॥ नदीह दी मुवि अन्नु वि किवि जुग्गय जं जोइवि उवयारु करहि उवयारसमुज्जय । are दीणु निहीणु जेण तइ नाहिण चत्तउ तो जुग्गउ अहमेव पास ! पालहि मइ चंगउ ॥ २५ ॥ अह अन्नु विजुग्गयविसेसु कि वि मन्नहि दीणह जं पासिवि उवयार करइ तुह नाह समग्गह । Jain Education International For Private & Personal Use Only ३५१ www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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