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________________ बारमो अने तेरमो सैको ___२९१ ऊनइ-ऊने ) ऊने प्रत्यय छे । ऊन' मां छेडे मळेलो 'इ' संबंधक भूतकृदंतने सूचवे छे, ए हकीकत हमणां ज आवी गई छे. ११२ संस्कृतमां अने प्राकृतोमा भूतकाळने सूचववा माटे मोटे भागे स्वतंत्र क्रियापदो ज वपराय छे अने भूतकृदंतो भूतकृदंतो द्वारा ओछां वपराय छे, त्यारे गुजराती भाषामा भूतकाळने भूतकाळसूचक सूचववा माटे मोटे भागे भूतकृदंतो ज वपराय क्रियापद छे. आ रिवाज पण काइ आजकालनो नथी. वेदोमा ४ पण भूतकाळनी क्रियाने सूचक्वा भूतकृदंतो वपरायेलां छे. ए प्राचीन पद्धति प्रमाणे अभयदेव, वादिदेवसूरि अने हेमचंद्रे पण पोतानां पद्योमा भूतकाळने सूचक्वा भूतकृदंतो वापरू छे. एटले जे भूतकृदंतो संस्कृतादि प्राचीन भाषाओमां क्रियादर्शक विशेषणरूप हतां ते आपणी भाषामा क्रियापदरूप बनी गयां छे. खरी रीते क्रियापद मुख्यपणे क्रियानुं सूचक छे एटले ते द्रव्य-सत्त्वरूप नथी अने एम छे माटे तेने जाति न होय अने जाति न होवाथी क्रियापदने लिंग पण न होय. आ सिद्धांत वैदिकादि प्राचीन बधी भाषामां सचवायो छे, परंतु लोकभाषामां ते सिद्धांत टकी शक्यो नथी. कारण के लोकभाषामां तो विशेषणरूप भूतकृदंतोने क्रियापदरूपे वापरवानी प्रथा निरपवादरीते संमत छे, तेथी ज तेमां विशेषणनी जेम लिंग वगैरे टकी रह्यां छे. 'रामे रावणने मार्यो' ए वाक्यमां ' मार्यो' क्रियापद छे. छतां ते रावणर्नु विशेषण छे. एटले ज ते नरजातिमां छे. वळी, ए वाक्यमां बीजी खूबी ए छे के 'मारित:-मारिओ-मार्यो' ए रीते ' मार्यो 'नी २८८ "स्कनम्" ( ऋ० सं० ५-३-२४ निरुक्त पृ० २४०) “पपिवान् " (ऋ० सं० ८-३-२० निरुक्त पृ० ४६५) “जातानि" (ऋ० सं०८-७-४-५ निरुक्त पृ० ४६१) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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