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________________ बारमो अने तेरमो सैको २७७ जणावेलो छे. तेमां तेओ जणावे छे के भोजपुरी भाषामां वपराता 'हशे' के L 'हो' अर्थने सूचवता 'होखे ' रूपमा देखाता 'ख'नी उपपत्ति करवा सारु उक्त महाशय, ' अक्ष' मांथी ' अख' अने ' अस' बन्नेने लाववानुं सूचवे छे. आ संबंधे मारे ‘अक्ष' मां ' अख्' अने ' अस्' नुं मूळ शोधनार बीम्स साहेबना मतनो विशेष नम्रताथी अनादर करवो रह्यो . भोजपुरी ' होखे 'ना 'ख' नी उपपत्ति बीजी रीते पण प्रामाणिकपणे थई शके एम छे: जैन - आगम उत्तराध्ययन सूत्रना मूळमां- अध्ययन बीजुं गाथा बेरिंमीमां- 'होक्खामि' अने 'होक्खं ' एवा बे स्पष्ट प्रयोगो मळे छे. आशरे दशमा सैकाना विद्वान टीकाकार शांतिसूरिए ए बन्ने प्रयोगोने भविष्यकाळ प्रथम पुरुष एकवचनना जणाव्या छे अने तेनो संस्कृत पर्याय ' भविष्यामि ' जणावेलो छे. 6 ष्यामि ' ए भविष्यकाळ प्रथम पुरुष एकवचननो प्रत्यय छे. संभव छे के ए‘अस्' धातुमांथी नीपजेलो होय. 'भू' धातुनुं प्राकृत अंग 'हो' छे. ए 'हो' ने आ ' व्यामि' प्रत्यय लागतां ' होण्यामि' एवं थाय. 'ध्यामि' ना आदिभूत मूर्धन्य 'ष' नुं लोकभाषानी रीतप्रमाणे 'ख' उच्चारण थतां ' होख्यामि' एवं नीपजे अने पछी 'ख्यामि 'नो संयुक्त 'य' प्राकृत पद्धति प्रमाणे लोप पामतां, शेषनो द्विर्भाव थया पछी 1 'ख्खा' नो ' क्खा' थतां 'होक्खामि ' रूपनी सहेजे उपपत्ति थई शके 'छे अथवा ' हो + स्सामि' अने 'हो + स्सं' एवो विभाग राखीए. तेमां २८४ प्रस्तुत गाथा आ प्रमाणे छे : cc 'परिजुनेहिं वत्थेहिं होक्खामि त्ति अचेलए । अदुवा सचेलए होक्खं इइ भिक्खु न चिंतए " ॥ " होक्खामि - भविष्यामि " - टीका । “ होक्खं - भविष्यामि " - टीका । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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