SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 277
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५४ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति नुं जुईं उच्चारण छे. एटले षष्ठीना एकवचन उक्त 'हे' नो संबंध ‘स्य' ना भिन्न उच्चारण 'ह्या' साथे जोडी शकाय एम छे. 'ह्या' मां 'य' छे तेथी तेनु ' हे ' एबुं परिणामांतर थवं अशक्य नथी. आ रीते जोतां 'ह्या' के 'हे' ए बनेना मूळमां वैदिक ‘स्य' ज रहेलो छे. वळी, 'जरथुश्त्रहे, 'स्पितामहे ' ' अस्पहे ' (खोरदेहअवेस्ता पृ० २२८,२८३) वगैरे प्रयोगोमां अवेस्तानी भाषामां षष्ठीविभक्तिना एकवचनमा 'हे' प्रत्यय वपरायेलो छे. हेमचंद्रे स्त्रीलिंगी नामने माटे षष्ठी विभक्तिमां जे 'हे' प्रत्यय बताव्यो छे ते 'हे' अने उक्त आवेस्तिक 'हे' ए बे बच्चे संबंध बांधी शकाय के केम ए प्रश्न छे परंतु ए बन्ने प्रत्ययोमा साम्य तो घणुं छे. बहुवचननो ‘आणं' तो वैदिक ' देवानाम् ' (पा० देवानं, प्रा० देवाणं) मां वपरायेला 'आनाम्' साथे संबंध धरावे छे. 'हं' प्रत्यय वैदिक सर्वेषाम्' पालि · सव्वेसं' अने प्राकृत 'सव्वेसिं' ना अंत्य 'सं' तथा 'सिं' प्रत्यय साथे संबंध धरावे छे अने ' हुँ' प्रत्यय, उक्त 'हं' नुं उच्चारणान्तर छे. 'मोरहतणा' अने ‘जेतणा' रूपोमां वपरायेलो अंत्य 'तण' षष्ठीनो सूचक छे. 'मोरह' ए रूप पोते ज षष्ठ्यंत छे. छतां ए रूप षष्ठीनो अर्थ बताववा असमर्थ नीवड्यं त्यारे तेने संबंधसूचक 'तण' लगाडीने षष्ठीनो अर्थ बताव्यो छे. आचार्य हेमचंद्रे 'संबंध 'नो अर्थ सूचकवा माटे 'तण' अने 'केर' पदो वापरवानी भलामण करेली छे अने 'अम्हहंतणा' वगैरे उदाहरणो पण जणावेलां छ: (८-४-४२२ हे.) ए रीते अहीं षष्ठीसूचक प्रत्यय बेवडायो छे. 'जेहतणा'-'जे तणा' ए रूप पण ए रीते बनेलुं छे. २७७ षष्ठीना एकवचन माटे 'हे' प्रत्ययवाळां अनेक रूपो खोरदेहअवेस्तामां वपरायेलां छे: असुरस्य-अहुरहे पृ०६८. विश्वस्य-वीस्पहे-पृ०१५१. श्यामस्य-सामहे-पृ०२२९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy